नई दिल्ली. अदालतों में बी आर आंबेडकर की तस्वीर लगाने को लेकर टिप्पणी करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत में केवल महात्मा गांधी और संत तिरुवल्लुवर की मूर्तियां व तस्वीर लगाई जा सकती हैं. इसके लिए मद्रास हाई कोर्ट ने जिला न्यायपालिका को एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें उन्हें हाईकोर्ट की पूर्ण अदालत द्वारा पहले पारित प्रस्तावों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है. इस सर्कुलर में महात्मा गांधी और संत तिरुवल्लुवर की मूर्तियों और चित्रों को छोड़कर, तमिलनाडु में अदालत परिसर के अंदर कहीं भी कोई अन्य चित्र नहीं लगाने का आदेश दिया गया है.
दरअसल, कई अधिवक्ता संघों ने आंबेडकर और संबंधित संघ के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के फोटो का अनावरण करने की अनुमति मांगी थी, 11 अप्रैल को आयोजित एक बैठक में, हाई कोर्ट की फुल बेंच ने ऐसे सभी अनुरोधों को खारिज कर दिया था. बीते 7 जुलाई को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार-जनरल ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया था. सर्कुलर के अनुसार, इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय पहले ही विभिन्न अवसरों पर विचार कर चुका है.
सर्कुलर में उल्लेख किया गया है कि विभिन्न अधिवक्ता संघों द्वारा वर्ष 2008, 2010, 2011, 2013, 2019 और अप्रैल 2023 में भी इसी तरह के अनुरोध किए गए थे, लेकिन इन्हें अस्वीकार कर दिया गया था. साल 2008 में, एक प्रस्ताव पारित किया गया था जहां उच्च न्यायालय ने राज्य के सभी अदालत कक्षों में राष्ट्रीय नेताओं के चित्र लगाने के लिए तमिलनाडु डॉ. बीआर अंबेडकर एडवोकेट्स एसोसिएशन के अनुरोध को खारिज कर दिया था.
11 मार्च, 2010 को हुई एक बैठक में, उन घटनाओं के मद्देनजर, जहां राष्ट्रीय नेताओं की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से टकराव और कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हुई थी, पूर्ण अदालत ने एक प्रस्ताव पारित किया था कि किसी भी अदालत परिसर में, चाहे चेन्नई या मदुरै पीठ, जिला अदालतें या तालुक अदालतें, या कोई अन्य अदालत परिसर हों, किसी भी मूर्ति का निर्माण नहीं किया जाएगा. यही प्रस्ताव 2011 और 2013 में भी दोहराया गया था, जहां नवनिर्मित अदालत भवनों में डॉ. बीआर अंबेडकर के चित्र लगाने का अनुरोध किया गया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-