अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए महिलाओं के पास गर्भ निरोधक गोलियों से लेकर आजकल कई तरह के ऑप्शन मौजूद हैं, लेकिन आज भी महिलाएं कॉपर-टी को किफायती तरीका मानती हैं. दरअसल कॉपर-टी लगवाना किफायती होने के साथ ही काफी सुरक्षित माना जाता है. वहीं इसे एक बार लगवाने के बाद तीन या पांच साल तक महिलाओं को अनचाही प्रेग्नेंसी होने का डर नहीं रहता है. इसका प्रोसीजर भी ज्यादा लंबा और मुश्किल नहीं होता है, लेकिन कॉपर-टी लगवाने के कुछ साइड इफेक्ट भी देखने को मिल सकते हैं. अगर अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए किसी भी महिला को कॉपर-टी लगवानी हो तो पहले इसके फायदे के साथ ही साइड इफेक्ट के बारे में भी पता होना चाहिए. साथ ही कॉपर-टी से जुड़ी सावधानियां बरतना भी बेहद जरूरी होता है. तो चलिए जानते हैं-
क्या होती है कॉपर-टी कैसे करती है काम
कॉपर-टी यानी कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस जो अंग्रेजी के अक्षर ‘T’ के शेप की होती है. इसे डॉक्टर गर्भाशय (यूट्रस) के अंदर फिट करते हैं. इस डिवाइस को लगाने के बाद स्पर्म की मोबिलिटी कम हो जाती है, जिससे अनचाही प्रेग्नेंसी के चांसेस काफी कम हो जाते हैं.
कॉपर-टी लगवाने के साइड इफेक्ट
कॉपर-टी लगवाने की वजह से पेट के निचले हिस्से (पेडू) में दर्द महसूस हो सकता है. इसके अलावा पीरियड्स के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल सकता है. वहीं यूरिन इंफेक्शन होने के भी चांस रहते हैं. हालांकि सभी मामलों में ऐसा नहीं है और कॉपर-टी का इस्तेमाल करना सेफ है.
क्या बरतें सावधानियां
कॉपर-टी लगवाने के कुछ मामलों में महिलाओं को असहजता महसूस हो सकती है या फिर ब्लीडिंग की प्रॉब्लम हो सकती है. इस तरह के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. वैसे तो कॉपर-टी मेच्योर होने की अवधि 3 से 5 साल तक होती है, लेकिन यह डिवाइस की गुणवत्ता पर निर्भर करता है. इसलिए किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह से ही कॉपर-टी लगवाएं.
कॉपर-टी निकलवाने की प्रक्रिया
जैसा की कॉपर-टी एक बार लगवाने के बाद पांच से तीन साल की अवधि तक के लिए लगाई जाती है, लेकिन इस दौरान बीच में भी कॉपर-टी निकलवाई जा सकती है. अवधि पूरी होने से पहले या बाद में अगर कॉपर-टी निकलवाना हो तो डॉक्टर से मिलकर पूरी प्रक्रिया करवाएं.