नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान चंद्रयान मिशन की सफलता को लेकर देशवासियों को बधाई दी और इस मिशन में महिला वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, मन की बात के अगस्त के इस एपिसोड में आपका स्वागत है। मुझे याद नहीं कि ऐसा कभी हुआ हो कि सावन के महीने में दो-दो बार मन की बात कार्यक्रम हुआ हो। लेकिन इस बार ऐसा हो रहा है। चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचे तीन दिन का समय हो रहा है। यह सफलता इतनी बड़ी है कि इसकी जितनी चर्चा की जाए कम है। आसमान में घने बादल को चीरकर, रोशना का संकल्प ले, अभी तो सूरज उगा है। दृढ़ निश्चय को साथ ले, घोर अंधेरे को मिटाने अभी तो सूरज उगा है।
पीएम मोदी ने कहा, चंद्रयान उस भारत का प्रतीक बन गया है जो कि हर हाल में जीतना चाहता है और जीतना जानता है। इस मिशन का एक पक्ष ऐसा भी रहा जिसकी विशेष तौर पर चर्चा करना चाहता हूं। इस बार मैंने लालकिले से कहा कि हमें राष्ट्रीय चरित्र को सशक्त करना है। जहां महिला शक्ति का सामर्थ्य जुड़ जाता है वहां असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। इस पूरे मिशन में अनेक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर जुड़ी रहीं। इन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रोजेक्टक मैनेजर की जिम्मेदारी संभाली है। भारत की बेटियां अब अंतरक्षि को भी चुनौती दे रही हैं। किसी देश की बेटियां जब इतनी आकांक्षी हो जाएं तो उस देश को विकसित बनने से भला कौन रोक सकता है।
पीएम मोदी ने कहा, आज हमारी इतनी ऊंची उड़ान इसलिए है क्योंकि हमारे प्रयास बड़े हैं। इस मिशन में दुनिया के कई देशों का सहयोग मिला। मेरे परिवारजनों सितंबर का महीना भारत के सामर्थ्य का साक्षी बनने जा रहा है। अगले महीने होने जा रही जी20 बैठक के लिए भारत तैयार है। जी20 इतिहास में यह सबसे बड़ी साझेदारी होगी। 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली आ रहे हैं।
मन की बात में हम अकसर युवा पीढ़ी के सामर्थ्य की चर्चा करते हैं। खेलकूद के क्षेत्र में युवा नाम रोशन कर रहे हैं। कुछ दिन पहले चीन में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम हुए थे। इस बार भारत की अबतक की सबसे अच्छी पर्फॉर्मेंस रही है। हमारे खिलाड़ियों ने 26 मेडल जीते जिनमें से 11 स्वर्ण पदक थे। पीएम मोदी ने खिलाड़ियों से बात करते हुए कहा, कबड्डी, खोखो, ये सारे गेम हमारी धरती से जुड़े हैं। इन्हें जरूर खेलना चाहिए। पहले बच्चा खेलने जाते थे तो लोग रोकते थे। लेकिन अब परिवारों का भाव बदला है अब जहां भी हमारे बच्चे जा रहे हैं, वे कुछ ना कुछ अच्छा करके आते हैं।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-