नई दिल्ली. रेलवे बोर्ड ने अपने सभी जोन को निर्देश दिया है कि वे अपने ड्राइवरों और गार्डों की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों, ड्यूटी के दौरान उनके द्वारा ली गई दवाओं और सुरक्षित ट्रेन परिचालन पर उनके प्रभाव का विवरण उपलब्ध कराएं. इसने कहा कि बोर्ड दवाओं के इस्तेमाल और रनिंग स्टाफ पर इसके प्रभाव से संबंधित मुद्दों की जांच कर रहा है. 31 अगस्त को सभी रेल जोन के महाप्रबंधकों को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि बोर्ड दवाओं के इस्तेमाल और रनिंग स्टाफ पर इसके प्रभाव से जुड़े मुद्दों की जांच कर रहा है.
ट्रेन चालक (जिन्हें लोको पायलट के रूप में भी जाना जाता है) और रनिंग ड्यूटी करने वाले गार्ड भारतीय रेल के रनिंग स्टाफ के अंतर्गत आते हैं. उनसे जुड़ी यूनियंस ने सख्त कामकाजी परिस्थितियों के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गंभीर मानसिक तनाव जैसी जीवनशैली की बीमारियों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है.
बोर्ड ने जोनल रेलवे को निर्देश दिया है कि वे रनिंग स्टाफ के बीच विभिन्न प्रकार की जीवनशैली और नौकरी से संबंधित बीमारियों और ट्रेन चालक दल की जीवनशैली पर रनिंग ड्यूटी के प्रभाव के बारे में अपनी टिप्पणियों के साथ आंकड़े प्रदान करे.
इस तरह का कदम यह पता लगाने के लिए भी उठाया गया था कि क्या ऐसी बीमारियों का ट्रेनों के सुरक्षित संचालन से कोई संबंध है. रेल बोर्ड अपने जोनों से यह भी जानना चाहता है कि ड्राइवरों, गार्डों और उनके परिवारों को ड्यूटी पर ली जाने वाली दवाओं के बारे में क्या सलाह दी गई है और क्या वे ट्रेन संचालन के दृष्टिकोण से सुरक्षित हैं.
इन विवरणों के साथ सभी रेल जोन को इस बारे में अपने सुझाव और टिप्पणियां देने के लिए भी कहा गया है कि क्या रनिंग स्टाफ की आवधिक चिकित्सा परीक्षा (पीएमई) की मौजूदा प्रणाली को बदलते समय के साथ किसी समीक्षा की आवश्यकता है. पत्र में कहा गया है, आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए 10 सितंबर, 2023 तक सुझाव/टिप्पणियां भेजी जा सकती हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली क्राइम : नाबालिग को टीचर ने अकेले मिलने बुलाया, छात्र ने पेपर कटर से काट दिया गला, यह था कारण
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