दांतों में ढीलापन को कभी न करें नजरअंदाज, मुंह का कैंसर दे सकता है दस्तक

दांतों में ढीलापन को कभी न करें नजरअंदाज, मुंह का कैंसर दे सकता है दस्तक

प्रेषित समय :12:00:30 PM / Fri, Sep 15th, 2023
Reporter : Sushil Vishvakarma

हर तरह के कैंसर के लिए आज भी सही इलाज नहीं है. जो इलाज है अगर शुरुआत में इसका पता चल गया तो ही कुछ जीने की उम्मीद होती है. इसलिए कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के पैरों के नीचे जमीन खिसक जाती है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर 6 में से एक मौत कैंसर से होती है. कैंसर का इलाज तभी संभव है जब इसका शुरुआती दौर में पता चल जाए लेकिन जागरूकता के अभाव में हम इसके बारे में अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. कुछ ऐसी शारीरिक परेशानियां हैं जिन्हें हम मामूली समझ लेते हैं और कैंसर के लक्षण भी इसी मामूली संकेतों से शुरू होते हैं. मुंह के कैंसर में इसी तरह से हल्के लक्षण दिखते हैं. इसलिए यदि समय पर मुंह के कैंसर के संकेतों पर ध्यान दिया जाए तो इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है.

मुंह के समूचे हिस्से और अंदरुनी हिस्से जैसे कि लिप्स, मसूड़ा, जीभ, गाल के अंदर, मुंह के अंदर का उपरी हिस्सा, जीभ के नीचे का भाग आदि हिस्सों में मुंह का कैंसर हो सकता है. मुंह के अंदर के कैंसर के ओरल कैंसर कहते हैं.

माउथ कैंसर के संकेत
हालांकि किसी भी कैंसर के लक्षण बीमारी लगने के तुरंत बाद नहीं दिखते हैं लेकिन जैसे ही यह विकसित होते हैं कुछ मामूली लक्षण दिखने लगते हैं. मुंह के कैंसर होने पर मुंह के अंदर एक सफेद या लाल रंग का पैच बन जाता है. इसके साथ ही दांतों में ढीलापन आने लगता है. वहीं मुंह के अंदर लंप या कुछ गांठ की तरह बढ़ने लगता है मुंह में अक्सर दर्द होने लगता है. इतना ही नहीं मुंह में कैंसर होने पर कानों में भी दर्द होने लगता है. जब बीमारी बढ़ जाए तो भोजन निगलने में दिक्कत होती है.
होंठ या मुंह का घाव हो जाता है जो इलाज कराने के बाद ठीक नहीं होता.

मुंह के कैंसर का कारण
मुंह के कैंसर में मुंह की कोशिकाओं के अंदर डीएनए में म्यूटेशन होने लगता है. एक तरह से यह बीमारी कोशिकाओं के डीएनए को क्षतिग्रस्त कर देता है. डीएनए क्षतिग्रस्त होने के कई कारण हो सकते हैं. कई तरह के पर्यावरणीय कारण, तंबाकू में मौजूद केमिकल, सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें, फूड में मौजूद टॉक्सिन रसायन, रेडिएशन, संक्रामक एजेंट, अल्कोहल में मौजूद रसायन, बैंजीन, एस्बेस्टस, अर्सेनिक, बेरेलियम, निकेल जैसे कैंसर काउजिंग सब्सटांस आदि कोशिकाओं के डीएनए को क्षतिग्रस्त कर देते हैं.

इन लोगों को है ज्यादा खतरा
जो लोग तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन करते हैं, उन्हें मुंह के कैंसर का खतरा कई गुना ज्यादा है. चाहे वह सिगरेट, बीड़ी, सिगार या तंबाकू का ही सेवन क्यों न कर रहे हो. वहीं बहुत अधिक अल्कोहल लेने वाले को भी मुंह के कैंसर का खतरा है. शारीरिक संबंधों से फैलने वाले ह्यूमन पेपिलोमावायरस से भी मुंह का कैंसर हो सकता है. इसलिए सुरक्षित यौन संबंध बनाना चाहिए. जिस व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उसे भी मुंह के कैंसर का खतरा रहता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-