नई दिल्ली. आज से हमारे सांसद नई संसद में बैठेंगे और वहीं से मुद्दों पर चर्चा होगी और नए कानून बनेंगे. इससे पहले आज पुरानी संसद को विदाई दी गई. दोनों सदनों के सांसदों का फोटो सेशन हुआ और फिर सेंट्रल हॉल में सभी सांसद जुटे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुरानी संसद से नई संसद आ गए हैं. उनके साथ सभी सांसद हैं. पीएम मोदी ने कहा कि ये शुभ है कि गणेश चतुर्थी के दिन नए भवन में बैठने जा रहे हैं. मेरा अनुरोध और सुझाव है कि नई संसद की गरिमा कभी कम न हो. पुरानी संसद को संविधान सदन के रूप में जाना जाए.
देश के लिए दिल बड़ा होना चाहिए. भारत अब रुकने वाला नहीं है. दुनिया भारत के आत्मनिर्भर मॉडल की चर्चा कर रही है. छोटी-छोटी चीजों में उलझने का समय चला गया है. संसद में बनने वाला हर कानून, संसद में होने वाली हर चर्चा, संसद से जाने वाला हर संकेत, इंडियन इंस्पिरेशन को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए. पीएम मोदी ने कहा कि इसी संसद से तीन तलाक कानून बनाकर मुस्लिम बहनों को इंसाफ दिलाया. ट्रांसजेंडर और दिव्यांग जनों के लिए कानून बना. अलगाववाद, आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाया गया. इसी सदन से 370 को हटाया. आज जम्मू-कश्मीर शांति की ओर है. भारत नई ऊर्जा से भर चुका है.
अभी तक लोकसभा और राज्यसभा ने मिलकर करीब-करीब 4 हजार से अधिक कानून पास किए हैं. कभी जरूरत पड़ी तो ज्वॉइंट सेशन से भी कानून बनाए गए. दहेज रोकथाम कानून, बैंकिंग सर्विक कमीशन बिल हो, आतंक से लड़ने के लिए कानून हों, ये इसी गृह में संयुक्त सत्र में पास किए गए.
इससे पहले पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित संयुक्त सत्र के विशेष कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ सांसद मेनका गांधी, अधीर रंजन चौधरी, मल्लिकार्जुन खड़गे, पीयूष गोयल ने सदन को संबोधित किया. इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी संविधान प्रति को लेकर सभी संसद सदस्यों के साथ पुरानी संसद से नए संसद भवन की तरफ रवाना हुए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंट्रल हॉल में अपने संबोधन में आगे कहा कि अब दुनिया आश्वस्त है कि अर्थव्यवस्था के मामले में भारत टॉप 3 पर पहुंचने वाला है. भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई. भारत का बैंकिंग सेक्टर मजबूत हुआ है. भारत नई ऊर्जा से भर चुका है. गुलामी की जंजीरों ने युवाओं की एसपीरेशन को दबोचकर रखा हुआ था. आज मिलकर हम जहां पहुंचे हैं, वहां हम रूकना नहीं चाहते हैं. हम नए लक्ष्य को गढ़ना चाहते हैं. नए कानूनों का निर्माण करके आगे बढ़ने का दायित्व हम सबका होता है. संसद से जाने वाला हर संकेत इंडियन एसपीरेशन को बढ़ावा देने के लिए होना चाहिए. हम जो भी रिफॉर्म करें, उसके मूल में इंडियन एसपीरेशन सबसे प्राथमिकता में होना चाहिए. भारत नई चेतना के साथ जाग गया है. 75 साल का हमारे पास अनुभव है, उससे हमने सीखा. हमारे पास एक बहुत बड़ी विरासत है. अमृतकाल के 25 सालों में भारत को अब बड़े कैनवास पर काम करना ही होगा. अब हमारे लिए छोटी छोटी चीजों में उलझने का वक्त चला गया है. आज दुनिया भारत के आत्मनिर्भर मॉडल की चर्चा करने लग गई है. समय की मांग है कि हमें आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करना हम सबका दायित्व है, इसमें दल आड़े नहीं आने चाहिए. जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट के रूप में हमें दुनिया में मैनुफैक्चर सेक्टर के रूप में जाना होगा. अब हमें वैश्विक मापदंडों को पूरा करने के इरादे से ही चलना चाहिए, तभी हम आगे जा सकते हैं. हमारे शिक्षा जगत को नई एजुकेशन पॉलिसी मिली है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-