रियल लाइफ हीरो जसवंत सिंह की कहानी है ‘मिशन रानीगंज’

रियल लाइफ हीरो जसवंत सिंह की कहानी है ‘मिशन रानीगंज’

प्रेषित समय :10:04:41 AM / Fri, Oct 6th, 2023
Reporter : Sushil Vishvakarma
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Movie Review
मिशन रानीगंज

कलाकार- अक्षय कुमार , कुमुद मिश्रा , पवन मल्होत्रा , वरुण बडोला , दिब्येंदु भट्टाचार्य , राजेश शर्मा , वीरेंद्र सक्सेना , अनंद महादेवन , जमील खान , सुधीर पांडे , रवि किशन और परिणीति चोपड़ा
लेखक- विपुल के रावल , दीपक किंगरानी और पूनम गिल
निर्देशक- टीनू सुरेश देसाई
निर्माता- वाशू भगनानी , दीपशिखा देशमुख , जैकी भगनानी और अजय कपूर
रिलीज- 6 अक्तूबर 2023
रेटिंग-  3/5
फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ उन जसवंत सिंह गिल की कहानी है जिन्होंने हकीकत में एक कोयला खदान में फंसे मजदूरों को अपनी  सूझ-बूझ से बचा लिया था। लगातार कोई आधा दर्जन फ्लॉप फिल्में देने के बाद अभिनेता अक्षय कुमार की किस्मत उनकी पिछली फिल्म ‘ओएमजी 2’ से बदली है हालांकि उस फिल्म की सफलता का अधिकतर श्रेय इसके दो मुख्य कलाकारों पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम को जाता है। फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ अक्षय कुमार की सोलो फिल्म है। इसमें एक सरदार की वेशभूषा में अक्षय कुमार ने खासा प्रभावित भी किया है। अक्षय ने भी अपनी चिर परिचित हरकतों को किनारे रख यहां संजीदा अभिनय किया है और फिल्म को आखिर तक संभाले रखा है।

कहानी- जसवंत सिंह गिल (अक्षय कुमार) अपनी प्रेग्नेंट पत्नी निर्दोष (परिणीति चोपड़ा) के साथ रानीगंज आते हैं. कोलकाता के रानीगंज में जसवंत कोल इंडिया लिमिटेड में बतौर रेस्क्यू इंजिनीयर काम कर रहे थे. जब माइन में हुए ब्लास्ट के बाद खदान में पानी भर गया, तब जमीन के नीचे फंसे 71 लोगों को बचाने की जिम्मेदारी जसवंत ने अपने कंधों पर ली. हालांकि मिशन शुरू होने से पहले ही 6 मजदूरों ने अपना दम तोड़ दिया था. किस तरह जसवंत ये मुश्किल मिशन पूरा करते हैं, ये जानने के लिए आपको थिएटर में ‘मिशन रानीगंज‘ देखनी होगी.

फिल्म में परिणीति चोपड़ा के जिम्मे दो गाने और चार पांच दृश्य ही आए हैं. तकनीकी तौर पर फिल्म थोड़ी कमजोर है। हालांकि, टीनू देसाई लोकेशन की खामियां फास्ट एडिट, ब्लॉक शॉट्स और क्लोजअप शॉट्स से छुपाने की कोशिश करते हैं लेकिन फिल्म को अपनी पकड़ बनाने में इसके चलते समय भी काफी लगता है। निर्माता वाशू भगनानी के ब्रिटेन में बने स्टूडियो में शूट की गई फिल्म स्पेशल इफेक्ट्स पर काफी ज्यादा आश्रित है और फिल्म ‘काला पत्थर’ की तरह फिल्म के किसी असली कोयला खदान में शूट न होने से इसका असर भी इसके चलते हल्का पड़ता है।

फिल्म के संवाद इसकी पृष्ठभूमि और वातावरण के हिसाब से कमजोर हैं। फिल्म के कुमार विश्वास के लिखे और अर्को  के गाए गाने को छोड़ दें तो दूसरा कोई गाना असरदार नहीं बन पड़ा है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक थोड़ा बेहतर होता और फिल्म की लंबाई दो घंटे के अंदर की होती तो फिल्म और असरदार हो सकती थी। फिल्म अपनी अवधि तक हालांकि बोर नहीं करती है लेकिन इसके सामने फिर भी सबसे बड़ा सवाल यही रहेगा कि क्या ऐसी फिल्में देखने लोग सिनेमाघरों में आएंगे?

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-