ओटीटी पर पर रिलीज हुई मिलन लुथरिया की ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’. इसे देखने के बाद हम कह सकते हैं कि अर्णब रे की किताब पर बनी ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ हमें बिलकुल भी निराश नहीं करती. भले ही ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ की कहानी हमें कुछ अनोखा नही है, लेकिन फिर भी मिलन लूथरा का निर्देशन कहे या फिर कलाकारों की शानदार एक्टिंग, ये सीरीज हमें आखिर तक बांधे रखती है. ये एक ऐसा गैंगस्टर ड्रामा है, जो रोमांस, रिवेंज, एक्शन से भरपूर है.
कहानी- पाकिस्तान में रहने वाले अर्जुन भाटिया (ताहिर राज भसीन) पार्टीशन के दौरान पिता के साथ अर्जुन भारत आ जाता है. अपना सब कुछ बर्बाद होने के सदमे से दिमागी संतुलन बिगड़ चुके अपने पिता के साथ रिफ्यूजी कैंप पर रहने वाला अर्जुन अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए कब दिल्ली के अंडरवर्ल्ड की दुनिया का ‘सुल्तान’ बन जाता है, ये दिलचस्प कहानी आप को ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ में देखने मिलेगी.
इस कहानी में आने वाले कुछ ट्विस्ट और टर्न देखने वालों के दिमाग के ऊपर से चले जाते हैं. फिर वो अर्जुन का एक अधेड़ उम्र के गैंगस्टर और उसकी पत्नी का भरोसा जीतने के लिए खुद के कपड़े उतरना हो, या फिर अचानक एक फिरंगी डेनियल का किडनैप होना, जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. भले ही ये सीरीज किताब पर बनाई गई हो, ‘क्रिएटिव लिबर्टी’ के तहत इसमें कुछ बदलाव करते हुए कन्फ्यूजन दूर की जा सकती थी.
भले ही सुपर्ण वर्मा और मिलन लुथरिया राइटिंग के मामले में हमें निराश जरूर करते हैं लेकिन डायरेक्शन के मामले में वो हमें शिकायत का मौका नहीं देते. मिलन लुथरिया के साथ को-राइटर सुपर्ण इस सीरीज के निर्देशक भी है. ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ एक तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ती है, यही वजह है कि हम हमेशा ये जानने के लिए उत्सुक होते हैं कि इस कहानी में आगे क्या होने वाला है. सुपर्ण इससे पहले फैमिली मैन से लेकर बंदा जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुके हैं और उनका ये अनुभव ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ को दिलचस्प बनाने के लिए काम आया है.
एक्टिंग- ताहिर राज भसीन ‘अर्जुन भाटिया’ के किरदार में पूरी तरह से छा गए हैं. अर्जुन के व्यक्तित्व में होने वाले बदलाव उन्होंने बखूबी से दर्शाया हैं.बाकी किरदारों से ‘अर्जुन भाटिया’ पूरी तरह से अलग है और इस किरदार को उन्होंने पूरी तरह से न्याय दिया है. अनुज शर्मा इस सीरीज में हमें सरप्राइज करते हैं. उनका ‘बंगाली’ का किरदार काफी शानदार है.
विनय पाठक शानदार है. अनुप्रिया गोयनका की ‘शंकरी’ थोड़ी लाउड है, मौनी रॉय से ज्यादा मेहरीन पीरजादा और हरलीन सेठी हमें प्रभावित करती हैं. इस सीरीज के लॉन्च के दौरान कहा गया था कि मौनी रॉय इस सीरीज में प्रमुख भूमिका में नजर आएंगी. लेकिन सीरीज देखने के बाद लगता है कि मौनी इस सीरीज में ग्लैमर के लिए रखा गया है.
‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ 1947 से 1962 की टाइमलाइन में दर्शायी गई कहानी है और विष्णु राव ने अपनी सिनेमेटोग्राफी से ये दुनिया हमारे सामने बेहतरीन तरीके से पेश की है. ‘भूतनाथ’ से लेकर ‘द बिग बुल’ और ‘दहाड़’ तक कई फिल्मों में अपना टैलेंट विष्णु राव ने दिखाया है. इस सीरीज में भी उन्होंने बड़ी ही शिद्दत से एक अलग दुनिया हमारे सामने पेश की है. पूरी कहानी एक ‘वार्म टोन’ में पेश की गई है. जिस तरह से बैकग्राउंड म्यूजिक भी बुरा नहीं है. एडिटिंग की वजह से फिल्म ज्यादा दिलचस्प बन जाती है.
अगर आपको क्राइम ड्रामा, या गैंगस्टर ड्रामा पसंद है, तो सुल्तान ऑफ दिल्ली जरूर देखें. आप इस सीरीज को देखकर बिलकुल भी बोर नहीं होंगे. तो अच्छी एक्टिंग और एंटरटेनिंग कहानी के लिए आप ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ देख सकते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-