भवन में 'उत्तर दिशा' के मुख्य द्वार, उसके प्रभाव एवं उपचार

भवन में

प्रेषित समय :19:52:03 PM / Sun, Oct 15th, 2023
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जब हम उत्तर-दिशा के द्वार की बात करते हैं, तो हम यह भी जान लें कि चुंबकीय कंपास के अनुसार *337.5° से 22.5°*  के मध्य के क्षेत्र को उत्तर- दिशा कहा जाता है.
इस दिशा का स्वामी ग्रह बुध और देवता कुबेर हैं. इस दृष्टि से देखा जाये तो यह दिशा सभी प्रकार के सुख देने वाली है. यह दिशा बुद्धि, ज्ञान, चिंतन, मनन, विद्या एवं धन के लिये शुभ है. इसलिये आवश्यकता इस बात की है कि हम इस दिशा का सर्वोत्तम उपयोग कर अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करें. 
जहां तक मुख्यद्वार बनाने की बात है तो इस दिशा में बना द्वार भवन में वास करने वाले के लिये प्रगतिकारक ही होता है, बशर्ते कि यदि वह सही पद पर बनाया जाये, तो सर्वप्रकार से मंगल कारक हो सकता है. विशेषकर N3, N4 के द्वार अपेक्षाकृत या सर्वाधिक शुभ माने जाते हैं.
 वायव्य से लेकर ईशान्य तक उत्तर दिशा होती है.
उत्तर दिशा के द्वार  हैं:- रोग ,नाग, मुख्य, भल्लाट , सोम ,भुजंग , अदिति और दिति.
सुविधा की दृष्टि से आधुनिक विद्वानों ने इन्हें N1,N2,N3,N4,N5,N6,N7,N8 नाम दे दिया है.
इस दिशा में NW का एक द्वार (रोग ) NNW के दोनों द्वार ( नाग व मुख्य ) NORTH के दोनों द्वार ( भल्लाट व सोम ), NNE के दोनों द्वार ( भुजंग व अदिति ) तथा NE का एक द्वार(दिति) आता है.
इस दिशा में मुख्य (N3) व भल्लाट (N4) द्वार उचित व् श्रेष्ठ हैं. सोम (N5) का द्वार भी अच्छा है  परन्तु यह व्यक्ति को ज्यादा पूजा पाठ व अध्यात्म की तरफ ले जाता है. N8 का द्वार भी कुछ परिस्थितयों में अच्छा काम करता है.
 “उत्तरे रोगवधौ नित्यं नागे रिपुभयं महत्
मुख्ये धन सुतोत्पत्तिर्भल्लाटे विपुलाः श्रिये: 
सोमे तु धर्मशीलत्वं भुजंगे बहुवैरता
कन्या दोषा सदादित्ये अदितौ धनसंचय:”
भगवान् विश्वकर्मा के अनुसार ,
यदि उत्तर दिशा के प्रारम्भ स्थान जहाँ पर रोग का पद होता है , वहां पर द्वार बनाया जाए तो उसका फल रोगकारक, मृत्यु व बंधन बताया गया  है. (N1)
यदि नाग के स्थान में द्वार बने तो उसका फल शत्रुभय बताया गया है  |(N2)
मुख्य के पद में किया गया द्वार का फल धन एवं पुत्रों की उत्पत्ति बताया  है. (N3)
भल्लाट के स्थान पर द्वार होने का फल विपुल लक्ष्मी की प्राप्ति बताया गया  है. (N4)
सोम के पद में द्वार बनने का फल धर्मशीलता  है. (N5)
भुजंग के पद में द्वार बना द्वार बहुवैरता/ पुत्र के साथ वैर देता है. (N6)
अदिति के स्थान में निर्मित द्वार से कन्या दोष  होता  है. (N7)
दिति के पद में बने द्वार का फल धन संचय बताया गया है. (N8) 

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-