निर्देशक सर्वेश मेवारा की फिल्म 'तेजस' में वीएफएक्स पर मेहनत की होती, तो फिल्म का अंदाज और दमदार हो सकता था। भारतीय वायु सेना पर बेस्ड इस फिल्म की कहानी में कोई दम नहीं था, जहां एक विंग कमांडर बचाव अभियान के दौरान आदेशों की अवहेलना करने के बावजूद न केवल सजा से बचने में कामयाब होता है बल्कि उसे एक खतरनाक और महत्वपूर्ण मिशन भी सौंपा जाता है। यह फिल्म वायु सेना पायलट बनने के लिए तेजस की प्रेरणाओं की एक झलक पेश करती है। हालांकि, उनकी यात्रा के चित्रण में कुछ पहलुओं की कमी प्रतीत होती है, जिससे दर्शक उनके बारे में और भी बहुत कुछ देखना चाहते थे, लेकिन एकदम धमाकेदार अंदाज में पर वो इस फिल्म में दिखने को नहीं मिला है।
कहानी- तेजस गिल (कंगना रनौत) भारतीय वायुसेना की बहादुर लड़ाकू विमान पायलट है, जो फिल्म के पहले ही दृश्य में अपने सीनियर्स के ऑर्डर्स की परवाह किए बगैर जान जोखिम में डाल एयर फोर्स के बड़े अधिकारी की जान बचाती हैं। तेजस के इस कदम पर जांच कमिटी उस पर एक्शन लेने वाली होती है, लेकिन तभी खबर आती है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने देश के एक बहुत ही साहसी खुफिया एजेंट को बंधक बना लिया है। अब यदि हिंदुस्तान ने पाकिस्तान की शर्त नहीं मानी, तो वो उसका सर कलम कर देंगे। भारतीय खुफिया एजेंट के रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तेजस और उसकी साथी पायलट अफिया (अंशुल चौहान) को भेजा जाता है। ये दोनों जब रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने जाती हैं, तब इन्हें पता चलता है कि आतंकवादी राम मंदिर पर बम धमाका कर हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच दंगा करवाना चाहते हैं। तेजस का एक दर्दनाक अतीत भी है, जिसमें 26/11 के आंतकी हमले में वो अपने माता-पिता, भाई और मंगेतर को खो चुकी है। बस उसका वही अतीत उसे अपनी जान कुर्बान कर आंतकियों का खात्मा करने के लिए प्रेरित करता है।
कहानी में दो हीरोइनों को अनकन्वेंशनल भूमिकाओं में देखना अच्छा लगता है। लेकिन फिल्म की समस्या यह है कि निर्देशक का पूरा जोर नायिकाओं के हीरोइज्म को स्थापित करने में जाता है, कहानी को कसने में नहीं। कहानी का फर्स्ट हाफ काफी धीमा है। सेकंड हाफ रफ्तार पकड़ता है, पर क्लाइमेक्स प्रिडेक्टिबल लगता है। वायुसेना में तेजस की ट्रेनिंग, परिवार के साथ उसका रिश्ता और उसका लव ट्रैक राहत वाले हैं, मगर रेस्क्यू ऑपरेशन में हवा में फाइट और पाकिस्तान में घुसकर भारत के सीक्रेट एजेंट को छुड़ा लाने की तकनीक कन्विंसिंग नहीं लगती।
'तेजस' के एरियल स्टंट्स प्रभावित करते हैं, हालांकि, फिल्म का VFX कमजोर कड़ी है। कई दृश्य टॉम क्रूज की फिल्मों की याद दिलाते हैं। कहानी भावनात्मक स्तर पर जोड़ने में कमतर साबित होती है। तेजस और अफिया के बीच का डायलॉग, 'अगर हम सफल नहीं हुए तो लोग कहेंगे लड़कों को भेजना चाहिए था' गैरपरंपरागत क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा खुद को साबित करने के दबाव को भी दर्शाती है। हरि वेदांतम की सिनेमैटोग्राफी रेगिस्तानों में हवाई हमलों, उड़ानों और लड़ाई को आकर्षक ढंग से दर्शाते हैं। शाश्वत सचदेव के संगीत में, 'दिल है रांझणा और 'जान दा जैसे गाने अच्छे बन पड़े हैं।
Source : palpalindia
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