अधिकतर बच्चे स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप समेत कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का जमकर इस्तेमाल करते हैं. कम उम्र के बच्चों की सेहत पर इसका काफी असर पड़ता है. स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों को इसकी लत लग जाती है और वे बिना मोबाइल के खाना भी नहीं खाते हैं. हालांकि ऐसा करना बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए बेहद खतरनाक होता है. टेक्नोलॉजी, गैजेट्स और डिजिटल प्लेग्राउंड की भरमार से बच्चों को एंजाइटी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ रहा है. डिजिटल कंटेंट बच्चों के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रहा है. इससे न केवल कम उम्र में उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है, बल्कि उनकी नींद का पैटर्न और चिंता का स्तर भी प्रभावित हो रहा है. इससे बच्चों में डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ रहा है.
आज के जमाने में बच्चों को स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की आदत लग रही है, जिससे उन्हें एंजाइटी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ रहा है. इससे बच्चों की मेंटल हेल्थ बुरी तरह प्रभावित हो रही है. हालांकि कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनसे पेरेंट्स बच्चों को इस समस्या से बचाया जा सकता है. बच्चों की गलत आदत को छुड़ाने के लिए पेरेंट्स को सभी कोशिशें करनी चाहिए.
इस तरह छुड़ाएं बच्चों की मोबाइल की आदत
1. सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों के डिजिटल कंटेंट की लिमिट तय करें, जो चीजें बच्चों की सेहत पर असर डालती हैं, उन्हें बच्चों को न देखने दें. यह पेरेंट्स की जिम्मेदारी है. बच्चों के डिजिटल एक्सपोज़र का टाइम कम कर दें.
2. बच्चों की डाइट प्लान करें, ताकि उनकी ओवरऑल हेल्थ बेहतर हो जाए. मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए बच्चों को बाहर खेलने के लिए ले जाएं. बाहर ले जाकर बच्चों को महत्वपूर्ण गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करें, जिससे उनकी क्रिएटिविटी बढ़ सके. हमारे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए पेरेंट्स को सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करना चाहिए. इससे आप बच्चों की मोबाइल की आदत छुड़वा सकेंगे और उनकी हेल्थ को बेहतर कर पाएंगे.
3. खुलकर बात करें- बच्चों को खूब प्यार और दुलार करके आप उनकी गलत आदतों को छुड़वा सकते हैं. आप बच्चों के मन में झांकने की कोशिश करें और उनसे खुलकर बात करें. इससे बच्चे आपसे अपनी परेशानी शेयर कर पाएंगे और आपको पेरेंटिंग में काफी मदद मिल सकेगा. सभी पेरेंट्स को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और उनका शेड्यूल बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए. बच्चों को आप खुलकर जीने दें और सही रास्ता दिखाएं. इससे उनकी मेंटल हेल्थ बेहतर होगी और वे सही गलत का फैसला कर पाएंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-