नई दिल्ली. बेमौसम बारिश और उत्पादन में कमी से प्याज की बढ़ती कीमतों का शोर सरकार तक भी पहुंच गया. आम आदमी की थाली पर ज्यादा असर न पड़े इसके लिए सरकार ने तत्काल प्रभाव से बड़ा फैसला किया है. सरकार ने कहा है कि मार्च, 2024 तक प्याज के निर्यात पर पूरी तरह रोक लगाई जाती है. इस दौरान एक भी प्याज देश के बाहर नहीं जाना चाहिए, ताकि घरेलू बाजार में इसकी सप्लाई बनी रहे और कीमतों में उछाल न आने पाए. विदेशी व्यापार महानिदेशालय ने शुक्रवार सुबह एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि प्याज की निर्यात पॉलिसी में थोड़ा बदलाव किया जा रहा है. इसके तहत 31 मार्च, 2024 तक देश के बाहर प्याज के निर्यात पर पूरी तरह रोक लगाई जाती है. इसके साथ ही चीनी की बढ़ती कीमतों पर भी सरकार ने काबू पाने के लिए मिलों को आदेश जारी किए हैं.
साथ ही केंद्र सरकार की ओर से भारतीय खाद्य निगम को अब हर सप्ताह 4 लाख टन गेहूं बेचने की मंजूरी दी जा सकती है, जोकि वर्तमान समय में सिर्फ 3 लाख टन ही है। अगर खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होंगी तो महंगाई (मुद्रास्फीति) घटकर 4 महीने के निचले स्तर 5 प्रतिशत से कम होने की उम्मीद है।
आपको बता दें कि इससे पहले भी मोदी सरकार ने घरेलू मॉर्केट में उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्याज निर्यात पर 800 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 67 हजार रुपये प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय किया था। एमईपी लागू होने के बाद भी हर महीने एक लाख टन से अधिक प्याज भारत से दूसरे देशों में एक्सपोर्ट हुआ था।
इस देश में प्याज की कीमतें सातवें आसमान पर हैं। इस वक्त भारतीय मार्केट में प्याज के दाम 50 से 60 रुपये प्रति किलो हैं। ऐसे में प्याज के निर्यात से यहां दामों में काफी असर पड़ता है। सरकार ने प्याज की कीमतों को कम करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सूत्रों के कहना है कि इस साल सरकार ने चीनी के कम उत्पादन को देखते हुए इथेनॉल के लिए गन्ने के रस के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।
Source : palpalindia
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