मनोज बाजपेयी की अदाकारी का नया आयाम है फिल्म-जोरम

मनोज बाजपेयी की अदाकारी का नया आयाम है फिल्म-जोरम

प्रेषित समय :10:38:54 AM / Sat, Dec 9th, 2023
Reporter : Sushil Vishvakarma
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Movie Review- जोरम
कलाकार- मनोज बाजपेयी , स्मिता तांबे , मोहम्मद जीशान अयूब , मेघना ठाकुर , तनिष्ठा चटर्जी और धनीराम प्रजापति आदि
लेखक- देवाशीष मखीजा और देवाशीष मखीजा
निर्देशक- देवाशीष मखीजा
निर्माता- शारिक पटेल , आशिमा अवस्थी चौधरी , अनुपमा बोस और देवाशीष मखीजा
रिलीज- 8 दिसंबर 2023
रेटिंग-  4/5

मनोज बाजपेयी ओटीटी में अभूतपूर्व कामयाबी पाने के बाद उनकी फिल्म 'जोरम' तीन साल बाद थिएटर का रुख कर रही है। दुनियाभर के कई फेस्टिवल्स में शोहरत और पुरस्कार पा चुकी, देवाशीष मखीजा की यह फिल्म झारखंड के मूल आदिवासी लोगों के आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक उत्पीड़न की कहानी को थ्रिलर स्पेस में ले जाती है। फिल्म में किरदारों की बुनावट, विस्थापन का मुद्दा, पर्यावरण संकट, विकास बनाम कुदरत के साथ मानवीय पहलुओं की विसंगति को इस गहराई से पिरोया गया है.

कहानी-  'जोरम' की कहानी है झारखंड के मूल आदिवासी दसरू (मनोज बाजपेयी) और उसकी पत्नी वानो (तनिष्ठा चटर्जी) की। ये जोड़ा खुशी से जीवन बिता रहा था, मगर फिर कुछ ऐसा हो जाता है कि इन दोनों को मुंबई में आना पड़ता है। पांच साल यहां बिताने के बाद अब इनकी छोटी बच्ची भी है। ये लोग कंस्ट्रक्शन साइट में मेहनत-मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं। एक शाम जब दसरू घर आता है, तो उसे अपने घर में अपनी पत्नी वानो की लटकी हुई लाश और बिलखती हुई बच्ची मिलती है। यहां से कहानी का फ्लैशबैक शुरू होता है। एक समय अपनी जमीन को बचाने के लिए दसरू को नक्सली गिरोह का हिस्सा बनना पड़ा था। उसके गिरोह ने आदिवासियों के जमीन की दलाली करने वाले फूलो के बेटे माडवी को मार डाला था। अब फूलो दसरू से अपना पुराना हिसाब चुकता करना चाहती है।

दसरू सिस्टम से बचने के लिए अपने गांव भाग आता है, दसरू के पीछे मुंबई की पुलिस भी लगी है, जिनमें ईमनादार पुलिस अफसर रत्नाकर (मोहम्मद जीशान अयूब) इस केस की तह तक जाने पर आमादा है। वह मुंबई से झारखंड तक दसरू का पीछा करता है। क्या होगा दसरू का अंजाम? क्या वह अपनी नन्ही बच्ची के साथ अपनी जान बचा पाएगा? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

मनोज बाजपेयी अपनी विशिष्ट शैली से दर्शकों को मुरीद बना ले जाते हैं। वे दसरू की परकाया में प्रवेश ही नहीं करते, बल्कि उसकी बेबसी और लाचारी से आपको द्रवित कर देते हैं। उन्होंने एक आदिवासी किरदार की बारीकियों को खूब पकड़ा है। 'जोरम' में उनका किरदार ओम पुरी की अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस 'पार' की याद दिलाता है। नन्ही बाल कलाकार के साथ उनकी केमिस्ट्री कमाल की है। तनिष्ठा चटर्जी छोटी-सी भूमिका में गहरी छाप छोड़ने में कामयाब रहती हैं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-