यह पैसा बुरी बीमारी
- डॉ. अशोक कुमार वर्मा
यह पैसा बुरी बीमारी रातों की नींद हरे।
जब तक न हो खत्म मन बावला करे।
क्या नया खरीदूं कैसे इसे उड़ाऊँ।
जितना अधिक रुपया उतना संकट भारी।
दिन में नहीं चैन बन्दा कूदता फिरे।
यह पैसा बुरी बीमारी रातों की नींद हरे......
वेतन मिले जिस दिन मैं शीघ्र ठिकाने लगाऊ।
जब तक न हो ख़त्म न चैन से बैठ पाऊँ।
यह पैसा बुरी बीमारी रातों की नींद हरे......
जब तक रहे पास न कुछ और सोच पाऊँ।
जिस जिस की है उधारी मैं शीघ्र चुकाऊँ।
यह पैसा बुरी बीमारी रातों की नींद हरे......
वेतन जब हो जाए खत्म तब उधारी उठाऊँ।
25 दिन महीने के बड़ी शांति से बिताऊं।
यह पैसा बुरी बीमारी रातों की नींद हरे......