पुकार
करिश्मा
उम्र – 13 वर्ष
मिकीला, उत्तराखंड
सुन लो मेरी पुकार
फूलों की तरह खिलना चाहती हूँ
खुशबू की तरह महकना चाहती हूँ
पर क्यों रोक देती है मुझे दुनिया?
दिल तितली सा उड़ना चाहता है
और चाँद सा चमकना चाहता है
जिसमें हो खुशियों का खजाना
पर पहले ही क्यों काट देते हो पंख?
अंधेरे में दीया बनना चाहती हूँ
दीपकों की तरह चमकना चाहती हूँ
उजाले की तरह दिखना चाहती हूँ
पर पहले ही क्यूँ बुझा देते हो मुझे?
तोड़ दूंगी ज़ंजीरें
रेनू
कक्षा – 12वीं
राजकीय इंटर कॉलेज
वजूला, उत्तराखंड
लगा लाख ज़ंजीरे तू,
मैं कहाँ इनमें उलझूँगी?
बांध दे उलझनों में मुझे,
देख फिर मैं सुलझूँगी,
ठहरा हुआ पानी समझ लिया तूने,
नदियों सी बह जाऊँगी,
इस सीमा से उस सीमा तक,
लहरों सी उठ जाऊँगी,
तू भेद करेगा नारी-नारी का,
मैं ज्वाला सी दहक जाऊँगी,
तू चल अनुकूल समय के,
शिखर पर मैं ही दिख जाऊँगी,
उस दिन होंगे अल्फ़ाज़ तेरे,
हर शब्द में मैं ही आऊँगी,
तेरी नजर होगी ज़मी पर,
आसमान में मैं झलक जाऊँगी,
उस दिन मैं कहूँगी,
नारी हूँ, व्यापार नहीं,
अहमियत समझ मेरा, बेकार नहीं,
मुझमें बुराई देख ना तू,
मैं हूँ जग में खुशियों का भंडार
(चरखा फीचर)