कतर. कतर में कथित तौर पर जासूसी के आरोप में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर वहां की अदालत ने रोक लगा दी है. अब सजा-ए-मौत की जगह इन भारतीयों को जेल में रहना होगा. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है. कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने आज यह फैसला सुनाया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हे फैसले की डीटेल्स का इंतजार है. इसके बाद ही अगले कदम पर विचार किया जाएगा.
भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इस बारे में लिखित बयान जारी किया गया है. इसमें सजा-ए-मौत को कैद में बदले जाने की जानकारी दी गई है. बयान के मुताबिक कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने दाहरा ग्लोबल केस में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की सजा में कमी कर दी है. फैसले की डीटेल्स का इंतजार है. बयान के मुताबिक कतर में हमारे एम्बेसडर व दूसरे अफसर आज अदालत में मौजूद थे. इसके अलावा सभी नौसैनिकों के परिजन भी वहां थे. हम अपने नागरिकों की हिफाजत के लिए शुरू से खड़े रहे हैं और आगे भी कॉन्स्यूलर एक्सेस समेत तमाम मदद दी जाएगी. इसके अलावा कतर एडमिनिस्ट्रेशन के साथ इस मुद्दे पर हम बातचीत जारी रखेंगे. इसके बाद भारत सरकार और इन नौसैनिकों के परिवारों ने निचली अदालत के फैसले को कोर्ट ऑफ अपील हाईकोर्ट में चैलेंज किया. आज इसने ही सजा-ए-मौत को सिर्फ सजा में बदल दिया. हालांकि सजा की मियाद क्या होगी, इसकी जानकारी आना बाकी है. अब अगला कदम कतर की सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कंसेशन है. इसे आप सुप्रीम कोर्ट भी कह सकते हैं. इसमें जेल काटने की सजा को भी चैलेंज किया जा सकता है. हो सकता है ये अदालत पूरी सजा ही माफ कर दे.
इसके अलावा कतर के नेशनल डे यहां के अमीर कई आरोपियों की सजा माफ करते हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट सजा माफ नहीं भी करती तो कतर के अमीर यानी चीफ रूलर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी ऐसा कर सकते हैं. गौरतलब है कि 23 नवंबर को नौसैनिकों की मौत की सजा के खिलाफ लगाई गई याचिका को कतर की अदालत ने स्वीकार कर लिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 9 नवंबर को अपील दायर करने की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था. भारत को इन सैनिकों से मुलाकात के लिए दूसरा काउंसलर एक्सेस भी मिल गया है. भारत सरकार लगातार कतर के संपर्क में है. 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी. आठ भारतीयों पर इजराइल के लिए जासूसी करने का आरोप है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-