जबलपुर. धान उपार्जन में मुख्यमंत्री के निर्देश पर फूड कंट्रोलर कमलेश टांडेकर की बर्खास्त्गी के बाद निलंबन का क्रम जारी है।इस सनसनीखेज मामले में लगातार भोपाल स्तर पर कठोर कार्यवाही से हड़कंप मचा हुआ है।इस बीच यह चर्चा भी गर्म है कि उपार्जन समिति के सदस्य होते है उपायुक्त सहकारिता।
जब नियमानुसार सहकारी समितियों को केंद्र बनाया जाना था या एक समिति को दो केंद्र दिए जाने थे तो देरी सहकारिता विभाग से हुई है।उपार्जन और कमीशन से सहकारी समितियों के आर्थिक हित जुड़े होते है।अब फूड कंट्रोलर के सस्पेंड होने के बाद दो केंद्र बनाने की कार्यवाही हो रही जबकि सहकारिता विभाग को शुरू से ही सहकारी संस्थाओं को आगे बढ़ाना था।सहकारी संस्थाओं को केंद्र बनाने के प्रस्ताव तो सहकारिता विभाग की होती है।
सूत्रों के अनुसार वर्तमान उपायुक्त सहकारिता निगम उपार्जन में गड़बड़ी के चलते केवलारी विधायक के तत्कालीन मुखमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मंच से सिवनी से भोपाल ट्रांसफर किए गए थे।जबलपुर का घोटाला सहकारिता विभाग की शिथिलता का मामला है।ऐसी नव निर्मित संस्थाओं को उपार्जन दिया गया है जिनके कार्यालय और निर्वाचन की जानकारी भी नही मिलती।अखिलेश निगम की भूमिका की जांच होनी चाहिए।इस संबंध में कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ठ के शिव चौबे ने जिला कलेक्टर को संबोधित एक ज्ञापन बुधवार को संयुक्त आयुक्त सहकारिता को सौंपा।उन्होंने आयुक्त सहकारिता और प्रमुख सचिव से उचित कार्यवाही की मांग की है।
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