इस बार इस सीजन में 8 एपिसोड हैं. सभी एपिसोड लगभग 25 से 30 मिनट की लंबाई के रखे गए हैं, जैसे इस सीरीज के एपिसोड अक्सर होते हैं. पिछले तीन सीजन में इस फैमली की सबसे मजेदार सदस्य रही दादी इस सीजन में नहीं हैं. अगर आपने इस सीरीज के पहले सीजन देखे हैं तो आपको पता ही होगा कि इस तीसरे सीजन के आखिर में दादी का निधन दिखाया गया था. चौथे सीजन की कहानी दादी की तेरहवीं से ही शुरू होती है. घर से बुजुर्ग सदस्य के जाने, रिश्तों की उलझ, मेंटल हेल्थ, जेंडर इनइक्वेलिटी जैसे कई मुद्दों को इस बार इस सीजन में दिखाया गया है. हर एपिसोड में शर्मा परिवार एक नई परेशानी से जूझता और उससे लड़ता हुआ दिखाया गया है.
ये शो अपने पहले तीन सीजन में अपनी ऑडियंस बना चुका है और अगर आप इस सीरीज को पसंद करते हैं तो निर्देशक हिमाली शाह की ये सीरीज आपको पसंद आएगी. हालांकि ये सीजन पिछले तीन सीजन की तुलना में ज्यादा इमोशन है और कम फनी है. आपको बहुत ज्यादा जोर से हंसी बहुत ही कम मौकों पर आएगी. हालांकि पापा और बॉबी के बीच की नोंक-झोंक आपके चेहरे पर एक मुस्कान हमेशा बनाए रखेगी. दिल्ली के इस मिडिल क्लास परिवार की कहानी में बहुत कुछ ऐसा है जो आपको रिलेट करेगा.
कहानी इमोशनल पार्ट पर खूब टच कर रही है, लेकिन बहुत कुछ नया या अनोख इसने नहीं दिखाया है. दरअसल ऐसा इसलिए भी आप महसूस करेंगे क्योंकि अब इस तरह के कई सीरीज या शो जैसे ‘गुल्लक’, ‘ये मेरी फैमली’, या ‘होम शांति’ आप देख भी चुके हैं और खूब पसंद भी कर चुके हैं. ऐसे में 90 के नोस्टेलजिया को जिंदा करते और मिडिल क्लास फैमली को दिखाने की कहानियां भरपूर देखी जा चुकी हैं. ऐसे में ये सीरीज बहुत कुछ नया नहीं लाती. साथ ही, इस सीरीज के 8 एपिसोड भी थोड़े लंबे लगेंगे आपको. इन्हें थोड़ा समेटा जा सकता है.