हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार जीवन रेखा को समझें

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार जीवन रेखा को समझें

प्रेषित समय :21:56:56 PM / Thu, Feb 8th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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*हथेली का  सबसे ऊपरी भाग सात्विक गुणों से संबंध रखता है.*
 *बीच वाला भाग राजसिक गुणों से संबंधित है.*
 *नीचे वाला हिस्सा तामसिक गुणों से संबंध रखता है.*
*जीवन रेखा आंशिक रूप से तामसिक क्षेत्र में पड़ती है, इसके कारण ये रेखा व्यक्ति की भौतिक प्रवृत्तियों एवं विषयासक्ति का प्रतिनिधित्व करती है.* 
*यह रेखा गुरु पर्वत के नीचे हथेली के किनारे से आरंभ होकर, नीच के मंगल तथा शुक्र पर्वत का घेरा बनाती हुई कलाई तक जाती है. जीवन रेखा व्यक्ति के स्वास्थ्य, बीमारी, रोग-व्याधि तथा उन घटनाओं को दिखाती हैं जिनका संबंध शरीर से हो.*
*एक अच्छी त्रुटिहीन रेखा उत्तम स्वास्थ्य और भरपूर जीवन शक्ति असीम शारीरिक ऊर्जा होती है और इनमें रोग-प्रतिरोधक शक्ति भी उच्च सामान्य रूप से अच्छी न हो, दोषयुक्त हो अर्थात उस पर धब्बा, बिंदु, कोई दोष हो तो इससे अस्वस्थ शरीर और बार-बार होने वाली छोटी-बड है.*
 *ऐसे लोग जल्दी रोगग्रस्त होते हैं. जीवन रेखा पर जहां तक दोष हो अस्वस्थ रहता है, उसके बाद व्यक्ति सामान्य स्वास्थ्य वापस प्राप्त क यदि जीवन रेखा का उद्गम स्थल गुरु पर्वत हो, तो व्यक्ति बचपन है.*
 *अगर हथेली के अन्य लक्षण भी सहायक हों तो ऐसा व्यक्ति सा बावजूद उत्कृष्ट सफलता प्राप्त करता है.*
*ऐसा बहुत कम होता है पर जीवन रेखा यदि नीच के मंगल प आक्रामक, चिड़चिड़े संदेहजनक तथा प्रतिस्पर्धापूर्ण स्वभाव का प्रतीक होती है.*

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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