नई दिल्ली. पंजाब में लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो सका है और दोनों ही पार्टियों ने अलग-अलग राह पकड़ ली है. इस बीच सूबे में शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में गठबंधन लगभग तय हो गया है, जिसका औपचारिक ऐलान कभी भी संभव है. हालांकि सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच अब सिर्फ सीट बंटवारे पर पेंच फंसा है. सीट का मुद्दा सुलझते ही गठबंधन का ऐलान किया जाएगा. यहींं नहीं, आंध्र प्रदेश में टीडीपी के साथ और यूपी में आरएलडी के साथ भी गठबंधन तय माना जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक, शिरोमणि अकाली दल पुराने फार्मूले की तरह ही पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 8 पर खुद लड़ना चाहता है और 5 सीटें बीजेपी को देना चाहता है, जबकि बीजेपी इस बार ज्यादा सीटें चाहती है और केंद्र व अन्य राज्यों में बढ़ रहे जनाधार को आधार बनाते हुए अकाली दल को 7 और खुद 6 सीटों पर लड़ना चाहती है. सीट बंटवारे का फार्मूला अगले 1 से 2 दिन में तय हो सकता है.
बताया जा रहा है कि 13 फरवरी के प्रस्तावित किसान आंदोलन की स्थिति के आकलन के बाद गठबंधन का ऐलान किया जा सकता है. गठबंधन फार्मूले के तहत और पुरानी परंपरा के मुताबिक अभी भी शिरोमणि अकाली दल बीजेपी के बड़े भाई की भूमिका में ही रहेगा. दोनों पार्टियों का गठबंधन साल 2020 में किसान आंदोलन के चलते टूट गया था. इसके बाद अकाली दल ने 2022 का विधानसभा चुनाव बीजेपी से अलग होकर लड़ा और उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. अब पार्टी एक बार फिर ‘गठबंधन’ के लिए उत्सुक है ताकि खोए हुए जनाधार को वापस लाया जा सके. लोकसभा चुनावों में बीजेपी की लगातार तीसरी जीत की उम्मीद है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में दावा कर चुके हैं कि अबकी बारी बीजेपी 370 सीटें जीतने जा रही है और एनडीए 400 सीटें जीतने वाला है.
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