चेहरे पर बढ़ती झाइयों से हैं परेशान, कहीं हाइपरपिग्मेंटेशन तो नहीं

चेहरे पर बढ़ती झाइयों से हैं परेशान, कहीं हाइपरपिग्मेंटेशन तो नहीं

प्रेषित समय :08:56:51 AM / Fri, Feb 9th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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बढ़ती उम्र में स्किन पर कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं, जिसमें हाइपरपिग्मेंटेशन भी शामिल है. किसी की त्वचा पर झाइयों का होना एक मेडिकल कंडीशन है. इसमें स्किन पर मेलानिन ज्यादा बनने लगता है और धब्बे नजर आने लगते हैं. मेलानिन एक तरह का पिग्मेंट है, जो नेचुरल रंग का होता है. इसके जरूरत से ज्यादा प्रोडक्शन से हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या होती है. हालांकि, बढ़ती उम्र में ज्यादा होती है. गाल या माथे पर अधिक नजर आती है. इससे त्वचा बेहद खराब नजर आने लगती है. आजकल अधिकतर लोग हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या से परेशान रहते हैं. हाइपरपिग्मेंटेशन क्या है, क्यों होता है और कैसे करें इस समस्या को दूर, जानते हैं यहां…

क्यों होती है हाइपरपिग्मेंटेशन?

झाइयों की दिक्कत हार्मोंस में बदलाव के चलते भी होती है. जेनेटिक्स भी कारण है, लेकिन ऐसे भी कई बाहरी कारण हैं, जो झाइयों का कारण बनते हैं. जादातर हाइपरपिग्मेंटेशन मेलेनिन के बढ़ने के कारण होता है. मेलेनिन एक प्राकृतिक रंगद्रव्य है, जो हमारी त्वचा, बालों और आंखों को उनका रंग देता है. कई कारक मेलेनिन उत्पादन में वृद्धि को ट्रिगर कर सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से सूर्य की हानिकारक किरणें, हार्मोनल प्रभाव, उम्र और त्वचा की चोट या सूजन इनके बड़े कारणों में से एक है.

1.सन एक्सपोज़र- सूरज की रोशनी मेलेनिन के उत्पादन को ट्रिगर करती है और हाइपरपिग्मेंटेशन को बढ़ाती है. मेलानिन हानिकारक यूवी किरणों से बचाकर आपकी त्वचा की प्राकृतिक सनस्क्रीन के रूप में कार्य करता है. जो लोग धूप में ज्यादा रहते हैं, उनमें हाइपरपिग्मेंटेशन अधिक हो सकता है. एक बार पिगमेंटेशन शुरू होने के बाद ये बढ़ती हुई उम्र के साथ और गहरा हो सकता है.

2. बढ़ती उम्र- उम्र बढ़ने के साथ त्वचा में भी बदलाव आने लगता है. दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ मेलेनिन-उत्पादक कोशिकाओं मेलानोसाइट्स की संख्या कम हो जाती है, लेकिन शेष आकार में वृद्धि होती है. उनका वितरण अधिक केंद्रित हो जाता है. ये शारीरिक परिवर्तन 40 से अधिक उम्र के लोगों में उम्र के धब्बों को बढ़ाते हैं.

3. केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स अधिक इस्तेमाल करना- केमिकल वाले प्रोडक्ट्स का अधिक इस्तेमाल करने से भी झाइयों की समस्या शुरू हो सकती है. केमिकल्स से स्किन झुलस जाती है, जिससे झाइयां नजर आने लगती हैं.

4. बार-बार चेहरे पर हाथ लगाना- स्किन से बार-बार पसीना पोंछने से होने वाला घर्षण भी झाइयों की वजह बन सकता है. ऐसे में आप बार-बार स्किन को टिशू पेपर से न घिसें. न तो केमिकल वाले प्रोडक्ट्स का अत्यधिक इस्तेमाल करें और न ही बार-बार अपने चेहरे को छुएं.

5. हार्मोंस का असंतुलन- हॉर्मोनल प्रभाव एक विशेष प्रकार के हाइपरपिग्मेंटेशन का मुख्य कारण है, जिसे मेलास्मा या क्लोस्मा कहा जाता है. खासकर यह महिलाओं में कॉमन है. ऐसा तब होता है, जब महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन मेलेनिन की अधिकता को उत्तेजित करते हैं, जब त्वचा सूर्य के संपर्क में होती है. साथ ही हाइपरपिग्मेंटेशन कुछ हॉर्मोन ट्रीटमेंट का साइड इफेक्ट भी हो सकता है.

हाइपरपिग्मेंटेशन से बचाव के उपाय

-जितना हो सके चेहरे को सूरज की तेज रोशनी से बचा कर रखें. चेहरे को स्कार्फ से ढक कर घर से बाहर निकलें.
-हर दिन ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का उपयोग करें. इससे हाइपरपिग्मेंटेशन को रोकने में मदद मिल सकती है. इसके लिए SPF 30 या अधिक वाली सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. इसके बावजूद ये समस्या दूर नहीं होती तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें.