म्यांमार सीमा को सील करने के फैसले पर समर्थन के साथ विरोध भी सुर

म्यांमार सीमा को सील करने के फैसले पर समर्थन के साथ विरोध भी सुर

प्रेषित समय :10:24:50 AM / Sat, Feb 10th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
Whatsapp Channel

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने 8 फरवरी को भारत और म्यांमार के बीच FMR यानि फ्री मूवमेंट रिजीम को खत्म करने की घोषणा की थी. इसके मुताबिक, म्यांमार देश की भारत के चार राज्यों से लगने वाली सीमाओं को सील किया जाएगा. इस फैसले के बाद से कुछ लोग सरकार के समर्थन में आ रहे हैं. वहीं कुछ लोग इस फैसले से खुश नहीं दिखाई दे रहे हैं. इन लोगों में अब मिजोरम और नागालैंड के सीएम भी शामिल हो गए हैं, दोनों सरकार के इस फैसले से खुश नहीं है. कुछ लोगों को मानना है कि ऐसा करने से सीमाएं सुरक्षित रहेंगी जबकि कुछ का मानना है कि ऐसा करने से पहले सरकार को एक फॉर्मूला तैयार करना चाहिए.

सरकार के इस फैसले के बाद लोग दो हिस्सों में बंटते नजर आ रहे हैं. इनमें एक ओर पहाड़ी इलाकों के लोग तो दूसरी ओर घाटी इलाके के लोग हैं. घाटी के लोगों को सरकार के इस फैसले पर कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन पहाड़ी इलाके के लोगों को सरकार का यह फैसला नागवार लग रहा है. इस बीच मैतई समुदाय की संस्था कोकोमी समेत घाटी के कई संगठनों का मानना है कि इस नियम से गलत तत्वों की गतिविधियों पर ब्रेक लगेगा, जिससे इन राज्यों की सीमाएं सुरक्षित रहेंगी.

वहीं, मिजोरम के मुख्यमंत्री लल्दुहोमा ने इस बारे में बताया कि इन बॉर्डर के दोनों साइड के लोग मिजो-जो-चिन समुदाय को इलाके में आने जाने से नहीं रोका-जा सकता. साथ ही इनमें कोई भी अंग्रेजों के समय एकतरफा तरीके से बनाई गई सीमाओं को भी नहीं मानते. तो इस फैसले को मानना संभव नहीं दिखाई दे रहा है. साथ ही नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो ने कहा है कि सीमा के दोनों ओर नगा लोग रहते हैं. इसलिए सरकार को इस फैसले पर अम्ल करने से पहले एक उचित फॉर्मूला बनाना चाहिए.

सरकार के इस फैसले पर नगा छात्र संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि म्यांमार और भारत की सीमा के दोनों तरफ नगा लोगों को हर स्वतंत्र नागरिक की तरह यहां रहने का जन्मसिद्ध अधिकार है. और तो और इस फैसले से आने वाले समय में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इस संगठन ने सरकार की ओर से दिए गए इस फैसले पर यूएन को दखल देने के लिए कहा है और आगे बताया कि मिजोरम के कई संगठन इस फैसले के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में हैं.

इस दौरान मणिपुर की सीमा वाले इलाकों के लोगों का कहना है कि बॉर्डर को सील करने से व्यावहारिक दिक्कत होंगी. क्योंकि उनका सदियों से उस पार के लोगों का संबंध हैं, इनमें उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं. उनका कहना है कि हर-सुख में दोनों तरफ के लोग एक-दूसरे का साथ देते हैं.

क्या है FMR
भारत और म्यांमार के बीच 1600 किमी लंबा बॉर्डर है. दोनों देश के बीच साल 1970 में फ्री एग्रीमेंट हुआ था. फ्री एग्रीमेंट को ही एफएमआर कहा जाता है, इसके मुताबिक, दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे के सीमा वाले इलाकों में बिना किसी पेपर कार्रवाई के जाने की इजाजत मिलती है. इसे आखिरी बार साल 2016 में रिन्यू किया गया था.