केतु एक छाया ग्रह है, लेकिन कुंडली में इनका महत्त्व अलग-अलग है , केतु के लिये कई भ्रामक मान्यता फेली हुई है. लेकिन यह सब से अलग केतु एक आध्यात्मिक ग्रह भी है. कोई भी आध्यात्मिक ग्रह किसीभी व्यक्ति को कभी दुःखी नहीं करते बल्कि हमारी आत्माकी उन्नति का प्रयास करने में सहायक होते हैं.
केतु का ही दूसरा नाम “असंतोष” है. मनुष्य का जन्म धरती पर कई जन्मो के अच्छे बुरे कर्म विविध इच्छा, और वासना के साथ होता है, और इसके साथ ही मनुष्य की जन्म कुंडली का निर्माण होता है. जिस स्थान मे केतु विराजमान होते हैं इस स्थान से जुड़े हुए सुखो में असंतोष की भावना जुडी हुई रहती है.
इस बात को द्रष्टांत से समजते है , केतु जिस स्थान मे विराजमान होते हैं इस स्थान का फल हम पिछले जन्म में गैर जिम्मेदाराना तरीके से भोग के आये हैं . इस वजह से केतु हमे इस स्थान के फल में असंतोष देकर हमारी गेर जिम्मेदारी का फल देते नजर आते हैं .
*आपकी कुंडली में केतु का फल कैसा रहेगा देखते हैं जन्मकुंडली के भाव अनुसार.*
प्रथम स्थान में केतु आत्म विश्वास में कमी देता हैं. ऐसे व्यक्ति कितनी भी बुलंदिया हासिल करे उन्हें कम ही लगता हें, हमेशा कुछ न कुछ नया करने के लिये सोचते रहेते हैं.
दुसरे वाणी स्थान का केतु वाणी में कड़वापन देता है. ऐसे व्यक्ति बोलना कुछ और चाहते हैं और बोलते कुछ और है. अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, और बाद में पश्चाताप करते हैं , खुद के परिवार की उमीदों पर सही न उतरने के वजह से असंतोष की भावना में रहते है.
तीसरे पराक्रम स्थान का केतु कोई बड़ा साहस ना करने का असंतोष देता हें, ऐसे व्यक्ति अपने भाई-बहेनो से भी दूर रहेते हें, भाई-बहेनो के लिये कुछ ना करने का असंतोष भी उनके अंदर देखा जाता है.
चोथे सुख स्थान का केतु अपनी माता की जिम्मेदारी के प्रति कार्यरत रखता है , ऐसे व्यक्ति माता के प्रति लगाव होते हुए भी माता से दूर रहना का असंतोष भरा जीवन जीते हैं. , जीवन के तमाम सुखो में रहेते हुए भी सुख में कमी के असंतोष से पीड़ित रहेते हैं.
*पंचम स्थान का केतु पुत्रो के प्रति ज्यादा चिंता देता हैं , ऐसे व्यक्ति पिछले जन्म में अपने माता-पिता को ज्यादा चिंता, टेन्शन, फालतू खर्चे करवाके आये हैं. इस वजह से इस जन्म में पुत्र कितने भी अच्छे हो उनको हमेशा पुत्रो से असंतोष रहेता हैं. ऐसे लोग ज्ञानी होने के बावजूद भी ज्यादा से ज्यादा विध्या हासिल करने के लिये भटकते रहते हैं.*
छठे स्थान का केतु नोकरी से असंतोष देता है , ऐसा व्यक्ति अच्छी से अच्छी नोकरी कर रहा होगा फिर भी उनको इस बात से असंतोष रहेगा. इस स्थान का केतु किसी भी बीमारी के इलाज में भी पूर्णता विश्वास नहीं देता है.
सप्तम स्थान का केतु अपने जीवनसाथी से असंतोष देता है. ऐसे व्यक्ति पिछले जन्म में अपने जीवनसाथी को बुरी तरीके से परेशान करके आये हैं. अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से ना निभाने के कारण इस जन्म के सप्तम स्थान का केतु यह असंतोष देता है.
अष्टम स्थान का केतु पुश्तैनी में मिली चीजो से असंतोष रहता है. भले ही फिर वो चीजे ज्यादा लाभदायक हो फिर भी इन्हें कम लगती हैं. ऐसे लोग हमेशां कोई बाबा, तांत्रिक या किसी ज्ञानी इंसान की खोज में रहते हैं. अष्टम स्थान का केतु बीमारी का जल्दी इलाज नहीं होने देता.
नवंम भाग्य स्थान का केतु भाग्य से असंतोष दिखाता है, ऐसे व्यक्ति भाग्य से बड़ी चीजे छुट जाने के लिये हमेशां उदास पाये जाते हें, धार्मिक कर्म और भाग्य का साथ कम मिलता है.
दसम स्थान का केतु खुद के व्यापार और कामकाज से असंतोष दिलाता देता है. ऐसे लोग दुसरो से अपनी पसन्नता सुनने के लिये कुछ भी कर सकते हैं. , हमेशां कोई नया बिजनेस खोजते रहते हैं.
ग्यारहवें स्थान का केतु मित्रों से कम लाभ देता है. मित्रों की गिनती कम होती है. भरोसेमंद मित्र की कमी रहेती है. इनका पूरा जीवन आसानी से मिलने वाले लाभों में असंतोष की भावना देता है.
बारहवें स्थान का केतु कानूनी कामो में फंसता है. इस स्थान में केतु जातीय जीवन मे असंतोष देता है , ऐसे लोग नये लोगो से मिलना जुलना और नई जगह घूमना जयादा पसंद करते है. , गुप्त ज्ञान के प्रति ज्यादा लगाव पाया जाता है.
केतु बेहद शर्मीला ग्रह है , जिस स्थान में विराजमान रहता है, इस स्थान से जुड़े हमारे द्वारा हुए पिछले जन्म के कर्मो की सजा के तोर पर हमें असंतोष की भावना देता है. यहा तात्पर्य सिर्फ कर्म की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति से है.
अपनी कुंडली का अध्ययन करके आप जिस स्थानके सुख से वंचित हैं उस से जुडी हुई असलियत को समझिए , आशावादी और संतोषी मनुष्य हर-दम प्रगति के पथ पर आगे बढते रहते हैं.
Astro nirmal
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जन्म कुंडली के अनुसार जेल किनको हो सकती हैं और बचाब?
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