न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, जॉन चीक्स नाम का यह शख्स पॉवरबॉल लॉटरी खेलता था. उसे उम्मीद थी कि एक न एक दिन तो जैकपॉट उसके हाथ लगेगा. हर बार वह अपने परिवार की जन्मतिथि का उपयोग करके टिकट के नंबरों का चयन करता था. इस बार भी ऐसा ही किया. अगले ही दिन जब उसने डीसी लॉटरी का रिजल्ट देखा तो खुशी में झूम उठा. 340 मिलियन डॉलर यानी 28 अरब रुपयों का मेगा जैकपॉट उसके हाथ लगा था. क्योंकि उसके नंबर वेबसाइट पर घोषित रिजल्ट में दिए गए नंबरों से मेल खा रहे थे. चीक्स ने कहा, मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं अरबपति बन गया.
चीक्स ने कहा, मैंने सबसे पहले अपने मित्र को फोन किया. उसने कहा, सबसे पहले रिजल्ट की एक फोटो ले लो. मैंने वही किया. तीन दिन तक वेबसाइट पर मेरे ही नंबर जैकपॉट विनर के रूप में दिखाए गए. मगर अगले ही दिन गजब ही हो गया. जब लाइव प्रसारण किया गया तो नंबर बदल दिए गए. मेरा कोई भी नंबर उससे मेल नहीं खा रहा था. मैं भागकर लॉटरी सेंटर पहुंचा. लेकिन वहां जो बताया गया, उसे जानकर मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई.
मीडिया से बातचीत में चीक्स ने कहा, जब मैंने उन्हें अपना टिकट दिखाया और बताया कि जैकपॉट विनर मैं ही हूं, तो वे चौंक गए गए. एक कर्मचारी ने मजाक बनाते हुए कहा, अरे- अच्छा तुम अरबपति बन गए हो. कोई नहीं, बस इसे कूड़ेदान में फेंक दो. क्योंकि तुम्हें भुगतान नहीं मिलेगा. जैकपॉट विनर कोई और है. चीक्स ने कहा, यह जानने के बाद तो मैं पागल हो गया. चीक्स के वकील रिचर्ड इवांस ने कहा कि उनके मुवक्किल को एक लॉटरी ठेकेदार ने बताया कि सिस्टम में गलती की वजह से उनका नंबर जैकपॉट विनर के रूप में दिखाया गया था. गलत नंबर पोस्ट कर दिए गए थे. यह उनके एक ठेकेदार ने गलती की थी. मामला कोर्ट पहुंचा. वहां भी लॉटरी अधिकारियों ने गलत नंबर पोस्ट करने को मानवीय त्रुटि करार दिया.