नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने विभिन्न मीडिया आउटलेट्स, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सर्च इंजनों को बिहार की एक महिला भाजपा विधायक की मानहानिकारक और कथित रूप से छेड़छाड़ की गई तस्वीरों को हटाने का आदेश दिया है.
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने विधायक द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें एक राजनीतिक सहयोगी के करीब दिखाने वाली छेड़छाड़ की गई तस्वीरों को प्रसारित किया गया था. उनका दावा है कि तस्वीरों में डिजिटल रूप से छेड़छाड़ की गई थी.
न्यायमूर्ति जालान के फैसले में विवादास्पद छवियों के प्रकाशन और वितरण को तत्काल बंद करने का आदेश दिया गया है, हालांकि यह निषेधाज्ञा छवियों के वायरल प्रसार या मामले से जुड़ी कानूनी कार्यवाही से संबंधित तथ्यात्मक रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगाती है. अदालत ने मेटा को विशेष रूप से एक सप्ताह के भीतर अपने प्लेटफॉर्म पर छवियों से जुड़े यूआरएल को हटाने का भी निर्देश दिया है. इसके अलावा, यह आदेश अज्ञात प्रतिवादियों के लिए भी दिया गया है, जिन्हें वादी को लक्षित करने वाली विवादास्पद छवियों या ऐसे किसी भी कंटेंट के आगे प्रसार के खिलाफ चेतावनी दी गई है.
कार्यवाही के दौरान, विधायक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने छवियों को हटाने और आगे इसी तरह के प्रकाशनों को रोकने के लिए एक अंतरिम आदेश का अनुरोध किया. इसके विपरीत, आरोपी राजनीतिक सहयोगी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील उमेश बर्नवाल ने छवियों के प्रकाशन में अपने मुवक्किल की संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन उन्हें हटाने पर कोई आपत्ति नहीं जताई.
छवियों की सत्यता के लिए जवाबदेही की कमी और विधायक की प्रतिष्ठा और गोपनीयता को संभावित नुकसान को ध्यान में रखते हुए, न्यायमूर्ति जालान ने वादी को अपूरणीय क्षति को रोकने के लिए अंतरिम राहत की आवश्यकता पर बल दिया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-14 हजार किसान आज दिल्ली कूच के लिए दिखाएंगे दम, 1200 ट्रैक्टर ट्रॉलियां, 300 कारों का काफिला
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