भुवनेश्वर. ओडिशा सरकार ने राज्य में मौजूद राष्ट्रीय उद्यानों, बाघ अभयारण्यों, इको-टूरिज्म साइट्स और वन्यजीव अभयारण्यों में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है.राज्य में यह प्रतिबन्ध एक अप्रैल 2024 से प्रभावी होगा.
बता दें कि मुख्य वन्यजीव संरक्षक सुशांत नंदा ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 33 (सी) के तहत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए यह आदेश जारी किया है. इसके साथ ही सुशांत नंदा का यह भी कहना है कि संरक्षित वन क्षेत्रों के भीतर प्लास्टिक से बनी पानी की बोतलों के उपयोग पर भी रोक लगाई जाएगी.
हालांकि साथ ही आदेश में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि इन क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए वैकल्पिक पेयजल सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही यदि पर्यटक चाहें तो इन पर्यटक स्थलों के प्रवेश बिंदु पर उन्हें पानी की बोतलें उपलब्ध कराई जा सकती हैं, जिन्हें लौटते समय वापस करना होगा.
आदेश में खाद्य पदार्थों को प्लास्टिक आदि में लपेटकर ले जाने वाले आगंतुकों को यह सलाह देने की बात कही है कि वे कचरे को निर्धारित कूड़ेदानों में ही डालें और संरक्षित क्षेत्रों में गंदगी न फैलाएं. आदेश में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि संरक्षित क्षेत्रों के भीतर पर्यटकों, प्रकृति शिविरों और अन्य स्थानों पर उत्पन्न सभी कचरे का निपटान मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत किया जाएगा.
इसमें राज्य के भीतर बचे इन प्राकृतिक आवासों की रक्षा पर जोर दिया है. साथ ही यह भी दोहराया है कि इसकी वजह से आम जनता को असुविधा नहीं होनी चाहिए. उन्होंने वन अधिकारियों से सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाए इस प्रतिबंध का व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा है ताकि पर्यटकों को इसके लागू होने के बाद किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े.
रिसॉर्ट्स और भोजनालयों को भी इस आदेश के बारे में जानकारी दी जाएगी. उन्होंने यह भी चेताया है कि इस आदेश का उल्लंघन करने पर जुर्माने के अलावा गिरफ्तारी और जेल भी हो सकती है.
गौरतलब है कि भारत में जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित कर दिया गया है. हालांकि केंद्र सरकार की सिंगल यूज प्लास्टिक की परिभाषा में आने वाली कई चीजें फिलहाल इस प्रतिबंध के दायरे से बाहर हैं.
भारत में सालाना प्रति व्यक्ति चार किलोग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा हो रहा पैदा
इस बारे में सरकार द्वारा 12 अगस्त, 2021 को जारी अधिसूचना में सिंगल यूज प्लास्टिक को ऐसे प्लास्टिक के तौर पर परिभाषित किया था, जिनके निपटान से पहले उन्हें निर्धारित कामों के लिए केवल एक ही बार इस्तेमाल या फिर रीसाइकिल किया जा सकता है. मतलब कि इस प्लास्टिक का निर्माण और उत्पादन इस तरह किया जाता है कि एक बार उपयोग होने के बाद इन्हें फेंक दिया जाए.
इस अधिसूचना में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 21 चीजों को कई चरणों में फेज आउट करने की योजना पेश की थी. सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी इन प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में ईयरबड्स, कटलरी, स्ट्रॉ और कैरी बैग जिनकी मोटाई 120 माइक्रॉन से कम है, शामिल हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जलवायु परिवर्तन से भारत की संवेदनशीलता और अर्थव्यवस्था पर पड़ता प्रभाव
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