ऐक्टर: अजय देवगन,आर माधवन,ज्योतिका,जानकी बोडीवाला,अंगद राज
डायरेक्टर : विकास बहल
श्रेणी: Hindi, Thriller, Psychological, Supernatural
अवधि: 2 Hrs 12 Min
काला जादू, टोना-टोटका, वशीकरण, असुरी शक्तियां, ये सब हमेशा से बहस के विषय रहे हैं। इनका कोई प्रमाण नहीं है। पढ़े-लिखे लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन शायद ही कोई परिवार होगा, जिसने अपने बच्चों की नजर नहीं उतारी होगी। अजय देवगन की नई फिल्म का 'शैतान' कहता है कि जरूरी नहीं कि जो दिखता नहीं है, वो होता भी नहीं है। फिल्म का केंद्र यही काला जादू है जो एकाएक एक हंसते-खेलते परिवार की जिंदगी में भूचाल ला देता है।
कहानी- कहानी कबीर (अजय देवगन) और उसके हंसते-खेलते परिवार की है, जो अपनी पत्नी ज्योतिका, बेटी जाह्नवी (जानकी बोडीवाला) और बेटे ध्रुव (अंगद राज) के साथ फॉर्म हाउस पर छुट्टी एंजॉय करने जाता है। वहां उसकी मुलाकात एक अजनबी वनराज (आर माधवन) से होती है. वनराज, जाह्नवी पर काला जादू करके उसे अपने वश में कर लेता है। वह जाह्नवी को अपने साथ ले जाना चाहता है और कबीर के ना मानने पर जाह्नवी को चायपत्ती खाने, नॉनस्टॉप नाचने, बेतहाशा हंसने से लेकर अपने ही मां बाप और भाई पर जानलेवा हमले करने पर मजबूर कर देता है। क्या कबीर अपनी बेटी को बचा पाता है या उसे वनराज को सौंपने को मजबूर हो जाता है? वनराज ये सब क्यों कर रहा है? ये सब आपको फिल्म देखकर पता चलेगा।
कहानी के टेंशन, डर और सिहरन भरे माहौल को दर्शक शुरू से ही महसूस करने लगते हैं। इसका श्रेय एक्टर्स खासकर 'शैतान' बने आर. माधवन और उनकी कठपुतली बनी जानकी की कमाल की अदाकारी को जाता है। माधवन ने फिर दिखाया है कि वे कितने उम्दा कलाकार हैं। अजय देवगन और ज्योतिका ने भी एक बेबस मां-बाप की लाचारी को अपनी आंखों से बखूबी उतारा है। तकनीकी रूप से फिल्म मजबूत है। सुधाकर रेड्डी और एकांती की सिनेमटोग्राफी, अमित त्रिवेदी का म्यूजिक और संदीप फ्रांसिस की चुस्त एडिटिंग आपका ध्यान भटकने नहीं देता।
फिल्म के सेकंड हाफ में शुरू होती है। ऐसा लगता है कि दूसरे हिस्से को हड़बड़ी में निपटा दिया गया है। फिल्म का अंत लॉजिक से परे लगता है। हॉरर फिल्मों के लाइट जलने-बुझने, उल्टा चलने और झाड़-फूंक वाले आम बॉलीवुडिया टोटके ना अपनाने वाली ये फिल्म माधवन और जानकी की बढ़िया एक्टिंग के लिए एक बार देखी जा सकती है।