ईटानगर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश में 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेला सुरंग राष्ट्र को समर्पित की. यह 13 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दो लेन वाली सुरंग है. यह सुरंग भारत की सुरक्षा को मजबूत करेगी और जरूरत पडऩे पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सशस्त्र बलों की पहुंच को आसान बनाएगी.
सुरंग को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद, पीएम ने लोगों से इसे देखने और क्षेत्र में व्यापार व पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद का आग्रह किया. पीएम ने कहा, सेला सुरंग पहले ही बन जानी चाहिए थी, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया. इस मौके पर पीएम ने तवांग से दो बसों को हरी झंडी भी दिखाई.
प्रधानमंत्री ने सीमा क्षेत्र को अंतिम मील तक कनेक्टिविटी प्रदान करने और अत्यंत कठिन परिस्थितियों में ऐसे दुर्गम इलाके में इंजीनियरिंग के चमत्कार के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रयासों की सराहना की. सेला सुरंग के अलावा, पीएम ने ईटानगर से 123 प्रमुख विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया. उन्होंने मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में 55 हजार 600 करोड़ रुपये की 95 परियोजनाओं की नींव रखी.
एक अधिकारी ने कहा कि सुरंग के खुलने से असम के तेजपुर को तवांग से जोडऩे वाली सड़क पर हर मौसम में आवागमन संभव हो सकेगा. सेला-चारबेला रिज से होकर गुजरने वाली और न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से निर्मित यह सुरंग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दे लेन की सुरंग है.
गौरतलब हैै कि एनएटीएम का उपयोग विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र में सुरंगों के निर्माण में किया जाता है. यह सुरंग बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर तवांग क्षेत्र को जोडऩे वाली एक महत्वपूर्ण धुरी है. यह तेजपुर तक भीतरी इलाकों को कनेक्टिविटी प्रदान करती है. सड़क पर नेचिपु, बोमडिला टाउन और सेला दर्रा जैसी कई बाधाएं थीं, जिन्हें बीआरओ ने सेला और नेचिपु सुरंगों और बोमडिला बाईपास का निर्माण कर हल किया.
इस सुरंग में क्रमश: 1,003 मीटर और 1,595 मीटर लंबी दो सुरंगें हैं. इनमें 8.6 किमी की पहुंच और लिंक सड़कें हैं, जिनका निर्माण 825 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि दूसरी सुरंग में अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार मुख्य सुरंग से सटी एक एस्केप ट्यूब भी है.
मुख्य ट्यूब के समानांतर बनी एस्केप ट्यूब हर 500 मीटर के बाद क्रॉस पैसेज से जुड़ी है और आपातकालीन स्थिति में इस एस्केप ट्यूब का उपयोग बचाव वाहनों की आवाजाही और फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए किया जा सकता है. सुरंग को 80 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति के साथ प्रति दिन तीन हजार कारों और दो हजार ट्रकों के आने-जाने के लिए डिजाइन किया गया है.
यह सुरंग न केवल सैनिकों और आपूर्ति की सुचारू आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी और क्षेत्र में रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि यह तवांग क्षेत्र के लिए आर्थिक समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत भी करेगी. इससे व्यापार, पर्यटन, रोजगार, शिक्षा और समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा.
अधिकारियों के अनुसार, प्रतिकूल मौसम, विशेष रूप से सर्दियों में, मौजूदा सेला दर्रे से मरीजों को आने-जाने में कठिनाई होती थी. इस सुरंग के खुलने से यह अब अतीत की बात हो जाएगी. सुरंग के खुलने से आठ किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी एक घंटे कम हो जाएगा.
सुरंग में अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था हैं. इसमें हवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वेंटिलेशन सिस्टम और विश्व स्तरीय इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम है. इसमेें जेट फैन वेंटिलेशन सिस्टम, अग्निशमन उपकरण, सीआईई मानदंड-आधारित रोशनी प्रणाली और एससीएडीए नियंत्रित निगरानी प्रणाली शामिल हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए मनोनीत, पीएम मोदी ने की सराहना
महिला दिवस पर नारी शक्ति को पीएम मोदी का तोहफा, LPG सिलेंडर के दाम 100 रुपये घटाए