आंखें हमें दुनिया को देखने और परखने में हमारी मदद करती हैं. कई बार किसी वजह से हमारी आंखों की रोशनी दिन-ब-दिन कम होने लगती. उम्र के साथ आंखों की रोशनी कम होना तो एक आम वजह है. लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जिनकी वजह से हमारी आंखों पर बुरा असर होता है. ग्लूकोमा, इन्ही में से एक है.
ग्लूकोमा की बीमारी आंखों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे इंसान की रोशनी छीन लेती है. इस बीमारी के कारण आंखों की ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाती है. इनके डैमेज हो जाने से दिमाग को संकेत मिलना बंद हो जाते हैं. जिससे दिखना बंद हो जाता है. इस बीमारी के गंभीर हो जाने पर आंखों की रोशनी को वापस लाना असंभव हो जाता है.
ग्लूकोमा की बीमारी आंखों पर प्रेशर बढ़ने से होता है. इसे इंट्राऑकुलर प्रेशर भी कहा जाता है. स्वस्थ आंखों में तरल पदार्थ होते हैं. ये तरल पदार्थ आंखों को प्रेशर से बचाने में मदद करते हैं. इसलिए लिक्विड हमेशा बनता रहता है और फिर बाहर निकलता रहता है. ये साइकिल ऐसे ही चलती रहती है. जहां इस साइकिल का संतुलन बिगड़ता है, वैसे ही आंखों पर प्रेशर पड़ने लगता है. इसके साथ कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हैं. जैसे- अनहेल्दी डाइट, मोबाइल-लैपटॉप का अत्यधिक इस्तेमाल
आंखों की ये बीमारी बचपन में या बुढ़ापे में कभी भी हो सकती है. आमतौर पर ग्लूकोमा के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं. जिसके कारण कई बार इसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है. डॉक्टर मरीज की आंखों की प्रेशर की जांच करते है, अंध बिंदुओं के लिए परीक्षण करते हैं और आंखों की अंदरुनी भाग की जांच करते है. रेगुलर चेकअप से ग्लूकोमा के प्रारंभिक चरणों को पहचानने में मदद मिलती है. लंबे समय तक तनाव में रहना आंखों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.