होलाष्टक के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान

होलाष्टक के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान

प्रेषित समय :20:04:11 PM / Wed, Mar 20th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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होलाष्टक शब्द असल में दो शब्दों को मिलकर बनाया गया एक शब्द है जिसमें एक होता है होली और दूसरा होता है अष्ट अर्थात 8 दिन. ऐसे में इस शब्द का अर्थ हुआ होली से पहले के 8 दिन. ऐसे में होलाष्टक का यह जो समय होता है यह होली से 8 दिन पहले शुरू हो जाता है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, इन आठ दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे की शादी, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, आदि नहीं किए जाते हैं.

भारत के उत्तरी भागों में अधिकांश हिंदू समुदायों द्वारा होलाष्टक की अवधि को अशुभ माना जाता है. उत्तर भारत में अपनाए जाने वाले पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार, होलाष्टक ‘शुक्ल पक्ष’ (चंद्रमा के उज्ज्वल पखवाड़े की अवधि) की ‘अष्टमी’ (8 वें दिन) से शुरू होता है और ‘पूर्णिमा’ (पूर्णिमा दिवस) तक रहता है.

होलाष्टक का आखिरी दिन यानी फाल्गुन पूर्णिमा अधिकांश क्षेत्रों में होलिका दहन का दिन होता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर में, होलाष्टक फरवरी के मध्य से मार्च के मध्य के महीनों के दौरान आता है. होलाष्टक हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में माना जाता है.

वर्ष 2024 में कब से है होलाष्टक

होलाष्टक का यह समय फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ हो जाता है. अर्थात इस साल 17 मार्च 2024 से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे और यह फाल्गुन पूर्णिमा तक चलते हैं अर्थात 24 मार्च 2024 को इसकी समाप्ति होगी. इसी दिन होलिका दहन भी किया जाएगा फिर 25 मार्च 2024 को रंगो वाली होली खेली जाएगी.
होलिका दहन समय:  23:15:58 से 24:23:27 तक

अवधि: 1 घंटे 7 मिनट
भद्रा पुँछा :18:49:58 से 20:09:46 तक
भद्रा मुखा :20:09:46 से 22:22:46 तक

जानें होलाष्टक का अर्थ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि, होलाष्टक के इन आठ दिनों में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है. यही वजह है कि इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. 

इसके अलावा मान्यता के अनुसार कहा जाता है की अष्टमी तिथि के दिन चंद्रमा, नवमी तिथि के दिन सूर्य, दशमी तिथि के दिन शनि, एकादशी तिथि के दिन शुक्र, द्वादशी तिथि के दिन गुरु, त्रयोदशी तिथि के दिन बुध, चतुर्दशी तिथि के दिन मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र अवस्था में रहते हैं.

ऐसे में इस दौरान अगर कोई भी मांगलिक कार्य किया जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की परेशानियां, बाधाएँ, रुकावटें और समस्या आने की आशंका बढ़ जाती है. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि अगर इस दौरान मांगलिक कार्य करने का विचार भी किया जाए तो किसी भी कारणवश या तो वो कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं या संपन्न नहीं हो पाते हैं.

होलाष्टक के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान
होलाष्टक की शुरुआत के साथ ही लोग किसी पेड़ की शाखा को रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाना शुरू कर देते हैं. प्रत्येक व्यक्ति शाखा पर कपड़े का एक टुकड़ा बांधता है और अंत में उसे जमीन में गाड़ दिया जाता है. कुछ समुदाय होलिका दहन के दौरान कपड़ों के इन टुकड़ों को जला भी देते हैं.
इसके अलावा होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन होलिका दहन के लिए स्थान का चयन किया जाता है. प्रत्येक दिन होलिका दहन के स्थान पर छोटी-छोटी लकड़ियां एकत्र कर रखी जाती हैं.
होली का 9 दिवसीय त्योहार अंततः ‘धुलेटी’ के दिन समाप्त होता है.
होलाष्टक का दिन दान करने या दान देने के लिए उत्तम होता है. इस दौरान व्यक्ति को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार उदारतापूर्वक कपड़े, अनाज, धन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना चाहिए.

होलाष्टक पूजा: इस पूजा का उद्देश्य आपके जीवन और घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना है. होलाष्टक पूजा बुरी नजर और अपशकुन से भी बचाती है.
होलाष्टक 2024 के महत्वपूर्ण समय की जानकारी
सूर्योदय: 17 मार्च, सुबह 6 बजकर 37 मिनट
सूर्यास्त: 17 मार्च, शाम 6 बजकर 33 मिनट
अष्टमी तिथि समय: 16 मार्च, रात 09 बजकर 39 मिनट से 17 मार्च, रात 09 बजकर 53 मिनट


भोज दत्त शर्मा , वैदिक ज्योतिष 
Astrology By Bhoj Sharma

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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