नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि औद्योगिक एल्कोहल को विनियमित करने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संवैधानिक पीठ को बताया कि शराब हमेशा से राज्यों के विधायी क्षेत्र के तहत रही है और केंद्र सरकार का औद्योगिक एल्कोहल के मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.
केंद्र सरकार ने नहीं दिया कोई आदेश
दिनेश द्विवेदी ने कहा कि एक्साइज, शराब और स्पिरिट हमेशा से राज्यों के विधायी क्षेत्र रहे हैं और इसमें औद्योगिक एल्कोहल भी शामिल है। द्विवेदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इंडस्ट्रियल एक्ट, 1951 के तहत इंडस्ट्रियल एल्कोहल (औद्योगिक एल्कोहल) को विनयमित करने के लिए कोई आदेश नहीं दिया है। केंद्र सरकार इसमें दखल नहीं दे सकती, क्योंकि औद्योगिक एल्कोहल को विनयमित करने की पूरी शक्ति राज्य के पास है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुयन, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला
यह मामला साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीश वाली संवैधानिक पीठ के सामने आया था, सिंथेटिक्स एंड केमिकल लिमिटेड बनाम यूपी राज्य मामला इंडस्ट्रियल (विकास और विनियमन) एक्ट, 1951 की धारा 18जी की व्याख्या से संबंधित है। धारा 18जी केंद्र सरकार को यह अधिकार देती है कि वह अनुसूचित उद्योगों से संबंधित कुछ उत्पादों को उचित रूप से वितरित करेगी, ताकि यह उचित मूल्य पर उपलब्ध हो। केंद्र सरकार आधिकारिक अधिसूचना जारी कर ऐसा कर सकती है। हालांकि संविधान की सातवीं अनुसूची की प्रवष्टि 33 के अनुसार, राज्य विधायिका के पास संघ नियंत्रण के तहत उद्योगों और आयातित सामानों के उत्पादों के व्यापार और विनियमन की शक्ति है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी: कार खंभे से टकराई, एक परिवार के 4 की मौत, टक्कर में स्कार्पियो की छत उड़ गई
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