तमिल ड्रामा-थ्रिलर ‘इदी मिन्नल कधल’ 2 घंटे 11 मिनट की इस फिल्म का निर्देशन बालाजी माधवन ने किया है. अगर कुछ कमियों को छोड़ दें, तो ये फिल्म एक बार देखने लायक है. कहानी में नयापन है, दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ यह एक मैसेज भी देती है.
कहानी- अरन (सिबी) से शुरू होती है, जिसकी गलती से हृतेश नामक एक निर्दोष पैदल यात्री की सड़क दुर्घटना (hit and run accident) में मौत हो जाती है. मृतक का एक छोटा बेटा भी है, जो अपने पिता के लौटने का इंतजार कर रहा है. अरन पुलिस के पास जाकर अपना जुर्म कबूल करना चाहता है, लेकिन उसकी प्रेमिका जननी (भव्या त्रिखा) उसे ऐसा नहीं करने देती. अरन विदेश जाने वाला था, अगर वो अपराध स्वीकार कर लेता, तो फिर विदेश जाने का उसका सपना अधूरा रह जाता. अभि को नहीं मालूम होता है कि अपने पिता की मौत के बाद वो एक बड़ी मुसीबत में फंसने वाला है. उसके पिता ने एक साहूकार से पैसे उधार लिए हैं. अरुल को बच्चों के प्रति यौन आकर्षण है. आखिरकार अरन भी अपना अपराध कबूल करता है और अभि को बचाता है.
फिल्म के मुख्य कलाकारों में सिबी भुवनचंद्रन, भव्या त्रिखा, यास्मिन पोनप्पा, राधा रवि, बालाजीशक्तिवेल, जगन पुरुषोत्तम, अजय आदित्य, विन्सेंट नकुल, मनोज मुल्लाथ आदि हैं. जहां तक कलाकारों के प्रदर्शन की बात है, तो सभी ने ठीक अभिनय किया है. अभि के किरदार में जय आदित्य प्रभावित करते हैं. हालांकि कहीं-कहीं उनकी मासूमियत छूटती नजर आती है. सेक्स वर्कर के किरदार में यास्मिन जंची हैं.
फिल्म की कहानी खुद बालाजी ने लिखी है. कहानी कुछ जगह उलझी नजर आई, मगर बाकी बेहतर है. फिल्म के प्रोड्यूसर जयचंदर पिन्नामनेनी है. उन्होंने ही सिनेमेटोग्राफी की है. उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया है. सैम सीएस का म्यूजिक भी प्रभाव छोड़ता है. एंथोनी गोंजाल्विस की संपादन और टी बालासुब्रमण्यम का प्रोडक्शन डिजाइन भी ठीक-ठाक है. कुछ जगह संपादन में कमियां दिखीं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-किन फिल्मों से एक्शन क्वीन बनी दिशा पटानी!
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