नई दिल्ली. डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिंग में रिंकू सिंह राजपूत 'वीर महान' का जलवा अब नहीं दिखेगा। अपनी विशिष्ट वेशभूषा और रिंग में दमदार उपस्थिति से अर्न्तराष्ट्रीय फलक भारत का झंडा बुलंद करने वाले रिंकू सिंह राजपूत ने डब्ल्यूडब्ल्यूई को गुड बॉय कह दिया है। शनिवार को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स और फेसबुक पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। हालांकि, इसके पीछे के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल पा रहा है।
माथे पर त्रिपुंड, गले में रूद्राक्ष की माला और विशिष्ट भारतीय वेशभूषा और लंबे-चौड़े डीलडौल शरीर वाले वीर महान जब डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिंग में उतरते थे तो विदेशी रेसलरों के पसीने छुट जाते थे। भदोही जिले के गोपीगंज क्षेत्र के एक छोटे से गांव होलपुर से निकलकर अंतराष्ट्रीय फलक पर छाने वाले रिंकू सिंह राजपूत के पिता ट्रक ड्राईवर थे। शुरू से ही जिद्दी और लक्ष्य के प्रति अडिग रहने वाले रिंकू ने पहले जैवेलिन थ्रोअर के रूप में शुरूआत की।
बाद में उन्होंने बेसबॉल में नाम कमाया और फिर डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिंग में उतरते ही देश-दुनिया में छा गए। रिंग में इन्हें वीर महान के नाम से जाना जाता था। रिंकू सिंह राजपूत को के इस फैसले को लेकर जब उनके परिवार से बात करने का प्रयास किया जाए तो परिजनों ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उनके छोटे भाई राजन सिंह ने कि ये उनका फैसला है। इसके बारे में वहीं बता सकते हैं।
रिंकू के पिता बताते हैं कि वह बचपन से ही खेल में रुचि रखते थे। भाई राजन के मुताबिक, आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद भाला फेंकने का ट्रायल दिया। उसमें सफल होने पर गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ गए। वहां से खेलते रहे और जूनियर नेशनल में गोल्ड मेडल भी जीते। 2008 में द मिलियन डॉलर आर्म नाम के रियलटी टीवी शो में हिस्सा लिया। इसमें तेज बेसबॉल फेंकने वाले खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
बेसबॉल के इस टैलेंट हंट शो में रिंकू को भाला फेंकने के अनुभव का लाभ मिला और मजबूत शरीर के कारण उन्होंने 140 किमी प्रति घंटे की गति से बेसबॉल फेंककर पहला स्थान हासिल किया। इसी पर एक फिल्म भी बनी। इसके बाद बेसबॉल में करियर बनाने अमेरिका गए। वहां पीटर्सबर्ग पायरेट्स से करार करने में कामयाब रहे कई लीग में हिस्सा लिए और जीते।
रिंकू सिंह राजपूत ने जिस भी खेल में हाथ आजमाया उसमें बुलंदी तक पहुंचे। 2018 में बेसबॉल को अलविदा कहने के बाद पेशेवर रेसलिंग में करियर बनाना शुरू किया। उसी साल डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ करार किया। भारतीय रेसलर सौरव गुर्जर के साथ टीम बनाई। कुछ समय बाद इनकी टीम ‘द इंडस शेर’में जिंदर महाल का भी नाम जुड़ा।