नई दिल्ली. हाईकोर्ट ने एनडीपीएस के एक मामले के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा है कि पिछले साल दिसंबर में मर चुका व्यक्ति 24 जनवरी को अपनी जमानत की याचिका कैसे दाखिल कर सकता है.
कोर्ट ने कहा कि वकील बताएं कि कैसे एक मर चुका व्यक्ति एक महीने बाद याचिका दाखिल कर सकता है, जिसमें उसके साइन भी हैं और उसने वकील को पावर ऑफ अटॉर्नी भी दी है. कोर्ट ने आरोपी के वकील को सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर रहने के आदेश दिए हैं. दरअसल, मंजीत सिंह के खिलाफ गुरदासपुर के कलानौर पुलिस थाने में पिछले साल 10 मार्च को एनडीपीएस की धारा के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. पिछले साल अगस्त में गुरदासपुर की जिला अदालत ने उसकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी. इसी साल जनवरी में उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अग्रिम जमानत की मांग कर दी.
बुधवार को जब इस केस की सुनवाई शुरू हुई तो सरकारी वकील ने हाईकोर्ट को आरोपी मंजीत सिंह का डेथ सर्टिफिकेट दिखाते हुए बताया कि जिस आरोपी की याचिका पर सुनवाई हो रही है वह तो पिछले साल 27 दिसंबर को मर चुका है. इस पर जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने हैरत जताते हुए कहा कि यह याचिका हाईकोर्ट में इसी साल 24 जनवरी को दाखिल की गई थी यानी आरोपी के मरने के एक महीने बाद. यह कैसे हो सकता है क्योंकि इस याचिका पर आरोपी के साइन हैं. आरोपी ने पावर ऑफ अटॉर्नी कैसे दे दी. हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी के वकील को इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहने के आदेश दे दिए हैं.
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