आज के वक्त में जब किसी महिला की डिलीवरी होती है, तो आमतौर पर वो अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में होती है, जहां डॉक्टर और चंद नर्सों के अलावा और कोई नहीं होता. पर आपको जानकर हैरानी होगी कि प्राचीन काल में शाही परिवारों की महिलाएं या फिर रानियां 100-200 लोगों के सामने बच्चे को जन्म देती थीं. इस अजीब रिवाज के पीछे बेहद चौंकाने वाला कारण है.
रिपोर्ट के अनुसार 1 नवंबर 1661 को जब फ्रांस के राजा लुई XIV की पत्नी मैरी थेरेसे की जब डिलीवरी होनी थी, तो उनका कमरा लोगों से भर गया. राजकुमारियां, राजकुमार, शाही परिवार से जुड़े अन्य लोग उस दौरान कमरे में जुट गए थे. उन्होंने सैकड़ों लोगों के सामने बच्चे को जन्म दिया था. फिर बाहर बैठे लोगों को बताया गया था कि रानी ने लड़के को जन्म दिया है और बाहर के लोगों की खुशी देखते बनती थी.
माना जाता है कि फ्रांस की रानी मैरी एंटोइनेट ने भी 1778 में करीब 200 लोगों के सामने अपने बच्चे को जन्म दिया था. डिलीवरी के दौरान महल के बाहर त्योहार जैसा माहौल होता था. लोग नाचते-गाते थे. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बेटी को जन्म दिया था, कमरे में इतना शोर, हलचल और भीड़ हो गई थी कि वो बेहोश हो गई थीं. तुरंत ही खिड़कियां खोली गई थीं, दीवारें तोड़ी गई थीं, जिससे हवा अंदर आ सके. अब सवाल ये उठता है कि आखिर प्राचीन काल में रानियां क्यों इतने लोगों के सामने बच्चों को जन्म देती थीं?
हिस्ट्री वेबसाइट के अनुसार प्राचीन काल में साम्राज्य को आगे बढ़ाने के लिए राजा हमेशा लड़के की उम्मीद में रहते थे. वो बेटा चाहते थे. जन्म के वक्त बच्चे की अदलाबदली न हो जाए, या फिर दुश्मन बच्चे को चुरा न ले जाएं, इस वजह से कमरे में गवाह के तौर पर बहुत से लोग बैठते थे. इसके अलावा कई लोगों के होने से ये भी साबित हो जाता था कि राजा को लड़का हुआ है या लड़की, जिससे किसी और के लड़के को राजा का लड़का बताकर उनके सामने पेश न कर दिया जाए. इसके अलावा लोग इस कारण से भी जुटते थे, जिससे ये सुनिश्चित हो सके कि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ है या फिर जीवित है.