एस्ट्राजेनेका कंपनी का बड़ा फैसला: वापस लेगी कोविड वैक्सीन, साइड इफैक्ट को लेकर मचा बवाल

एस्ट्राजेनेका कंपनी का बड़ा फैसला: वापस लेगी कोविड वैक्सीन, साइड इफैक्ट को लेकर मचा बवाल

प्रेषित समय :08:41:19 AM / Wed, May 8th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली. ब्रिटेन स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर उठे सवाल के बाद कंपनी ने एक नया कदम उठाया है. उसने कहा है कि महामारी के बाद से उपलब्ध अपडेटेड वैक्सीन की अधिकता को देखते हुए दुनियाभर से अपने कोविड​​-19 वैक्सीन को वापस लेने की पहल की है. कंपनी ने यह भी कहा कि वह यूरोप के भीतर वैक्सीन वैक्सजेवरिया के मार्केटिंग ऑथराइजेशन को वापस लेने के लिए आगे बढ़ेगी. अभी हाल ही में एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया था कि उसकी कोविड वैक्सीन से रक्त के थक्के जमाने संबंधी साइड इफैक्ट हो सकते हैं. इस खबर के सामने आने का बाद हंगामा खड़ा हो गया था.

इससे पहले अप्रैल में ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स की बात कबूल की थी। बता दें, टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को स्वीकार करने के बाद भी कंपनी इससे होने वाली बीमारियों या बुरे प्रभावों के दावों का विरोध कर रही है।

भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से हासिल लाइसेंस के तहत देश में इस वैक्सीन का उत्पादन किया था और इसे सिर्फ भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में ही नहीं इस्तेमाल किया गया था, बल्कि दुनिया के कई देशों को निर्यात किया गया। कोविशील्ड के अलावा इस वैक्सीन को कई देशों में वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम से भी बेचा गया था। एस्ट्राजेनेका पर यह मुकदमा जेमी स्कॉट ने दायर किया है, जो इस टीके को लेने के बाद ब्रेन डैमेज के शिकार हुए थे। कई परिवारों ने भी कोर्ट में इस टीके के दुष्प्रभावों की शिकायत की थी।

कोर्ट पहुंचे शिकायतकर्ताओं ने शरीर को पहुंचे नुकसान के लिए कंपनी से क्षतिपूर्ति की मांग की है। खास बात यह है कि ब्रिटेन ने इस वैक्सीन पर अब सुरक्षा कारणों से रोक लगा दी है। कंपनी के इस स्वीकारोक्ति के बाद अब मुआवजा मांगने वालों की संख्या भी बढ़ सकती है। भारत में कोविड के बाद ऐसी मौतों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई थी, जिनमें कारण का स्पष्ट पता नहीं चला था। इनमें से अधिकांश को किसी न किसी शारीरिक समस्या से जोड़ कर देखा गया और सरकार व स्वास्थ्य जगत ने यह कभी नहीं माना कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के कारण ऐसा हो सकता है। अब कंपनी की इस स्वीकारोक्ति के बाद भारत में भी मुकदमों का दौर शुरू होने की संभावना है।