सुपरनैचुरल यूनिवर्स की चौथी फिल्म ‘मुंज्या’ पहली भारतीय हॉरर फिल्म है जिसमें CGI (कंप्यूटर जेनरेटेड इमेजिनरी) कैरेक्टर का इस्तेमाल किया गया है. फिल्म में कलाकारों की कलाकारी आपका दिल जीत लेंगी. इसके बावजूद फिल्म में थोड़ी कमियां हैं.
कहानी. फिल्म की कहानी साल 1952 से शुरू होती है, जहां एक ब्राह्मण लड़के मुंज्या को अपने से कई साल बड़ी लड़की मुन्नी से प्यार हो जाता है और वो उससे शादी करना चाहता है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है, फिर वो काला जादू का सहारा लेता है, जिसमें उसकी जान चली जाती है. जिस दिन मुंज्या का निधन होता है, उसी दिन उसका मुंडन किया गया था और फिल्म में ऐसा बताया गया है कि अगर किसी ब्राह्मण लड़के का निधन उसके मुंडन से 10 दिन पहले हो जाए तो वह ब्रह्मराक्षस बन जाता है. फिर ‘मुंज्या’ को एक एनिमेटेड किरदार में बदल दिया जाता है, जो दिखने में काफी खौफनाक लगता है. फिल्म की कहानी 1952 से सीधे वर्तमान तक आती है. जहां एक पुणे के परिवार को दिखाया जाता है, जिसमें एक काफी डरपोक टाइप के लड़के बिट्टू (अभय वर्मा) को दिखाया जाता है, जो अपनी मां और दादी के साथ पुणे में रहता है. बिट्टू की मां के किरदार में आपको एक्ट्रेस मोना सिंह नजर आएंगी. बिट्टू के पिता कौन थे? बिट्टू का मुंज्या से लेना-देना? बिट्टू के पीछे मुंज्या क्यों पड़ जाता है? ऐसे कई सवाल आपके मन में फिल्म शुरू होते ही उठने लगे हैं, और इन सवालों के जवाब के पाने के लिए आपको सिनेमाघर जाकर पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी.
फिल्म में अभय वर्मा के साथ शरवरी का किरदार भी आपको पसंद आएगा, जिसके प्यार में बिट्टू पागल रहता है. अब एक्टिंग की बात की जाए तो अभय से लेकर शरवरी, मोना सिंह, सत्यराज और तमाम कलाकारों ने अपने-अपने अभिनय के साथ इंसाफ किया है. अभय पूरी फिल्म में आपको एक सीधे-साधे लड़के की तरह नजर आएंगे, और उनका अंदाज आपको बेहद पसंद आने वाला है.
फिल्म में सचिन-जिगर का संगीत बहुत अच्छा है. फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा स्लो है, तो हो सकता है आपको थोड़ी बोरियत भी महसूस हो. वहीं, फिल्म का सेकेंड हाफ आपको सीट तक छोड़ने नहीं देता है. यहां हॉरर और कॉमेडी को मिलाकर बनाया तो गया है, लेकिन डर वाली बात कुछ खास नहीं है.