कास्ट - कार्तिक आर्यन , श्रेयस तलपड़े , विजय राज़ , यशपाल शर्मा , ब्रिजेंद्र काला, भुवन अरोड़ा. निर्देशक - कबीर ख़ान. संगीत - प्रीतम.
'चंदू चैंपियन' तैराकी में भारत के पहले पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पेटकर की बायोपिक है। उन्हें साल 2018 में भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया था। इसमें कोई दोराय नहीं है कि मुरलीकांत पेटकर की कहानी लाखों-करोड़ों लोगों के लिए प्ररेणास्रोत है। इतना ही नहीं, फिल्म के लिए कार्तिक आर्यन की मेहनत भी खूब झलकती है। खासकर उनका ट्रासंफॉर्मेशन चौंकाने वाला है।
कहानी
फिल्म की शुरुआत महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में एक लड़के मुरलीकांत पेटकर का जन्म होता है। उनका बचपन से एक ही सपना होता कि देश को ओलिंपिक में मेडल दिलाना। वो दारा सिंह के फैन हैं, इसलिए पहलवानी करना शुरू करते हैं। हालांकि मुरली का पहलवानी करना उनके घर वालों को पसंद नहीं आता है। गांव के भी कुछ संभ्रांत लोग मुरली को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते हैं। मुरलीकांत गांव से पुणे भाग जाता हैं। वहां किसी तरह से आर्मी की इंजीनियरिंग कोर में उसकी नौकरी लग जाती है. आर्मी में रहकर उसका रुझान बॉक्सिंग की तरफ होता है, आर्मी का कोच टाइगर अली (विजय राज) उसे बॉक्सिंग के सारे गुर सिखाता है और एक दिन टोक्यो इंटरनेशनल डिफेंस गेम्स में वो बॉक्सिंग में सिल्वर मेडल जीत जाता है. कोच गोल्ड न मिलने से नाराज होकर सिखाना बंद कर देता है. कश्मीर में उनके कैंप में 1965 युद्ध में हवाई हमला होने पर मुरली को कई गोलियां लगती हैं. रीढ़ की हड्डी में से गोली निकल ही नहीं पाती, पैर बेकार हो जाते हैं. तब वही कोच अली फिर उसे नए गेम यानी स्विमिंग में पैरा ओलंपिक्स गोल्ड दिलवाता है, इसे शानदार तरीके से इमोशनल उतार चढ़ाव के साथ कबीर खान ने फिल्माया है. प्रीतम के म्यूजिक में तीनों गाने फिल्म को आमिर खान की मूवी 'लाल सिंह चड्ढा' बनने से रोकते हैं, सत्यानाश गीत अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखा है, तू है चैंपियन आईपी सिंह ने और सरफिरा कौशर मुनीर ने. गानों को अरिजीत सिंह, अमित मिश्रा एल, श्री राम चंद्रा आदि ने अपनी आवाज दी हैं.
एक्टिंग के मामले में यशपाल शर्मा और राजपाल यादव को उनके कद के मुताबिक रोल नहीं मिले, लेकिन वो कम समय में वो छाप छोड़ने वाले हैं. फर्जी के बाद भुवन अरोरा को फिर एक अच्छा रोल मिला और उन्होंने साबित भी किया, विजय राज हमेशा की तरह लाजवाब हैं, अब हर फिल्म की जरूरत बनते जा रहे हैं. अनिरुद्ध दवे भी बड़े भाई के रोल में जंचे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा लोहा मनवाया है.