जंक फूड की वजह से युवाओं में बवासीर, फिस्टुला और फिशर के मामले बढ़े

जंक फूड की वजह से युवाओं में बवासीर, फिस्टुला और फिशर के मामले बढ़े

प्रेषित समय :09:32:46 AM / Tue, Jun 25th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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जंक फूड के सेवन और निष्क्रिय जीवन शैली के कारण 18 से 25 वर्ष की आयु के युवाओं में दर्दनाक बवासीर, फिस्टुला और फिशर के मामले बढ़ रहे हैं. बवासीर और फिशर से पीड़ित लोगों को गुदा क्षेत्र के आसपास दर्द या सूजन हो सकती है. इसके चलते मल त्यागने में परेशानी होती है. उसे खुजली, जलन, मलाशय से रक्तस्राव और बैठने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. फिस्टुला गुदा के पास एक असामान्य छिद्र होता है जो गुदा नलिका के अंदर से जुड़ता है. यह आमतौर पर चोट, सर्जरी, संक्रमण या गुदा ग्रंथियों की सूजन जैसे कारकों के कारण होता है. गुदा क्षेत्र में दर्द, सूजन, गुदा के आसपास की त्वचा में जलन, रक्तस्राव और मल त्याग के दौरान असुविधा इसके प्रमुख लक्षण हैं. 

यह स्थिति अब मोटापे, गर्भावस्था, कम फाइबर वाले आहार, कब्ज, दस्त, भारी वस्तुओं को उठाने और मल त्याग के दौरान तनाव के कारण 25-55 वर्ष के वयस्कों में देखी जाती है.'' फिशर, गुदा या गुदा नलिका की परत में दरार के कारण ऐसा होता है. यह समस्या मल त्याग के दौरान कब्ज और अल्सरेटिव कोलाइटिस के कारण होती है सर्जन लैकिन वीरा ने कहा, ''पिछले 2-3 महीनों में हमारे पास लगभग 50 मरीज बवासीर और फिस्टुला की शिकायत लेकर आए हैं.

फिशर के मरीजों की संख्या 80 से ज्यादा है. लगभग 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं फिस्टुला और बवासीर से पीड़ित हैं. जबकि 70 प्रतिशत महिलाएं और 30 प्रतिशत पुरुष फिशर से पीड़ित हैं.'' डॉक्टर ने कहा, "पिछले वर्षों की तुलना में इन स्थितियों में कुल मिलाकर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. हाल ही में जंक फूड के सेवन के कारण 18-25 आयु वर्ग के लोगों में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है.'' 

पिछले कुछ सालों में इन रोगियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है". स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, संतुलित आहार लेना, प्रतिदिन व्यायाम करना, भोजन में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल कर कब्ज को रोकना, पर्याप्त पानी पीकर उचित जलयोजन बनाए रखना, धूम्रपान और शराब का सेवन छोड़ना और मल त्याग के दौरान तनाव से बचना इस स्थिति को कम करने में मदद कर सकता है. लैकिन ने कहा, ''इसके बचाव के अन्य तरीकों में दवाएं, क्रीम और सिट्ज बाथ शामिल हैं. 
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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