WCREU ने कोचिंग डिपो में दिया धरना, एसी-टीएल स्टाफ की समस्याओं को अफसर कर रहे नजरअंदाज

WCREU ने कोचिंग डिपो में दिया धरना, एसी-टीएल स्टाफ की समस्याओं को अफसर कर रहे नजरअंदाज

प्रेषित समय :19:01:18 PM / Fri, Aug 2nd, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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जबलपुर. वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) ने रेलवे कोचिंग डिपो परिसर में रेल प्रशासन के खिलाफ धरना दिया. यह धरना अफसरों द्वारा एसी-टीएल स्टाफ के साथ किये जा रहे भेदभाव, उनकी जायज समस्याओं का निदान नहीं करने व जरूरी सुरक्षा सामग्रियां उपलब्ध नहीं कराने, पदोन्नति में बेवजह विलंब किये जाने पर किया गया.

यूनियन के मंडल अध्यक्ष का. बीएन शुक्ला व मंडल सचिव का. रोमेश मिश्रा ने बताया कि एसी-टीएल विभाग में व्याप्त अनेकों समस्याओं का निराकरण नहीं होने से कर्मचारी जबर्दस्त आक्रोशित हैं. रेल प्रशासन के समक्ष लगातार इन विभाग के कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए कहा जाता रहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. जिस पर यूनियन के बैनर तले एसी-टीएल स्टाफ ने कोचिंग डिपो परिसर में गुरुवार 1 अगस्त को एक दिनी धरना दिया व प्रदर्शन किया. इस मौके पर प्रहलाद सिंह, अजय वाजपेयी, जित्तू वर्मा, चंदन गुप्ता, ओपी सिंह सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे.

यह है कर्मचारियों की मांग

- विगत 4 सालों से सहायक से टेक्नीशियन-3 के प्रमोशन की लिस्ट नहीं निकाली गई.
- विद्युत स्टोर में कोचों का प्रॉपर सामान नहीं मिलता है, सामान की उपलब्धता तत्काल कराई जाए.
- जो भी सरकारी स्टाफ बाहरी कार्यों में लगाये गये हैं, उन्हें रेलवे के कार्यो में अर्थात रेल मेंटेनेंस में लगाया जाये, जिससे कार्यरत स्टाफ पर अतिरिक्त बोझ न पड़े. वहीं मेंटेनेंस पिट पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था की जाए.
- कोचिंग डिपो अंतर्गत पिट नंबर 1 से लेकर 5 एवं 6 पर एचओजी बाक्स 750 वोल्ट एसी सप्लाई बाक्स जो की खराब स्थिति में है, उसे दुरुस्त किया जाए. वहीं रैक मेंटेनेंस के लिए पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था नहीं है. आटोमेटिक वाशिंग प्लांट के पास एक हाई मास्ट लाइट लगाया जाए.
- एसी मैकेनिकों के साथ अन्याय किया जा रहा है. जबलपुर में 1982 से एसी कोच चलाये जा रहे हैं, अभी तक न तो एसी मैकेनिक के बैठने की कोच में स्थायी व्यवस्था है, न ही सामान (टूल्स) रखने का प्रबंध है. हर रैक में 12 से 14 एसी कोच हैं, फिर भी स्लीपर कोच एवं जनरल कोच को देखने का दबाव बनाया जा रहा है. शिकायत होने पर अधिकारियों द्वारा ऑफिस में बुलाकर अपमानित किया जाता है. नौकरी से सस्पेंड करने की धमकी दी जा रही है.

दूसरे मंडलों में रेलवे के 2-3 स्टाफ ट्रेन में चलते हैं. लेकिन जबलपुर से सिंगल स्टाफ चलाया जा रहा है. वो भी ज्यादातर मैकेनिक का कार्य हेल्परों से कराया जा रहा है. उन्हीं हेल्परों को मैकेनिक बनाया जाए या प्रापर मैकेनिक को लाइन पर भेजकर उनके साथ सरकारी हेल्पर भेजा जाये.
- ठेकेदार द्वारा जो हेल्पर चलाये जा रहे हैं, वे ज्यादातर काम से अनजान हैं और रेलवे के प्रति उनकी कोई जवाबदेही भी तय नहीं की गई है.
- वरिष्ठ टेक्नीशियनों का रेश्यो बढ़ाया जाए. बड़ी टूल्स पेटी की व्यवस्था की जाए.
- एसी कोच के पावर कार के साथ मार्शलिंग की जाए. जिससे एसी कोच मैकेनिक को चलित ट्रेन में पावरकार से एसी कोच में आ रही खराबी को जल्द हल करने में सहायता हो सके.
- गरीब रथ रैक में लाइन पर पहले 1 जेई व 1 एमसीएम, 1 टेक्नीशियन एवं 1 हेल्पर चलते थे. उनको बंद करके केवल 2 सरकारी स्टाफ (1 टेक्नीशियन व 1 हेल्पर) को चलाया जा रहा है, जबकि इस रैक में 16 से 18  एसी कोच एवं 2 पावर कार अभी भी चालू स्थिति में है, पूर्व की तरह स्टाफ तैनात किया जाए.
- वर्तमान में एसी स्टाफ का ओवर टाइम बंद कर दिया गया है और लाइन ड्यूटी स्टाफ को प्रॉपर रेस्ट नहीं दिया जा रहा है. ओवर टाइम चालू करवाने की व्यवस्था की जाये तो लाइन स्टाफ को प्रॉपर रेस्ट दिया जाये.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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