फिल्म ‘औरों में कहां दम था’ की कहानी दो अलग अलग कालखंडों में चलती है। कहानी दोनों समय में एक ही जोड़े की है, लेकिन इसे कहने के लिए नीरज चार अलग कलाकारों की मदद लेते हैं। युवा कृष्णा और वसुधा के किरदारों में शांतनु महेश्वरी और सई मांजरेकर ने अद्भुत ओज के साथ प्रेम को निभाया है।
कहानी- कहानी में जाने के लिए आपको थोड़ा इसके फ्लैशबैक में जाना होगा. एक जवान लड़का और लड़की मुंबई की एक चाल में रहते हैं और एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं. हालांकि, उनकी जिंदगी उस रात उलट जाती है जब कृष्णा वसुधा से कबूल करता है कि उसे ट्रेनिंग के लिए बैंगलोर और फिर जर्मनी जाना है, जहां उसे पूरे दो साल काम करना है. सालों बाद, बड़े कृष्णा (अजय देवगन) से मिलवाया जाता है, जिसे 23 साल पहले डबल मर्डर के आरोप जेल में रखा गया था और उसे 25 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी.
हालांकि, उसके अच्छे व्यवहार के कारण उसकी सजा ढाई साल कम हो जाती है. फिल्म का ज़्यादातर हिस्सा उस दिन को दर्शाता है जिस दिन वह कैद से बाहर निकलता है. दूसरी ओर, वसुधा (तब्बू) अब अपना खुद का हैंडलूम और अन्य बिजनेस चलाती है. वो अब शादीशुदा है. उसकी शादी अभिजीत (जिमी शेरगिल ) से के साथ हुई है. क्या कृष्णा वसुधा से मिलेंगे? अगर वे मिलते हैं, तो क्या वह अपने एक्स बॉयफ्रेंड के लिए अपने पति को छोड़ देगी? जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
फिल्म के म्यूजिक की बता करें तो, इसका बैकग्राउंड म्यूजिक आपको थोड़ा इम्प्रेस करेगा. ऑस्कर विजेता संगीतकार एमएम क्रीम का यहां कोई अनादर नहीं है. उन्होंने ‘सुर’ और ‘ज़ख्म’ के साथ चार्टबस्टर हिंदी फिल्म एल्बम जारी किए हैं, लेकिन इस मामले में, जहां ‘औरों में कहां दम था’ का म्यूजिक आपको कनेक्ट नहीं कर पाता है. फिल्म के इमोशनल थीम से थोड़ा अलग लगता है.
औरों में कहां दम था में अजय देवगन और तब्बू जैसे दमदार कलाकारों के साथ कई रोमांटिक और इमोशनल सीन हैं. इन सीन्स ने भी फिल्म को बेहतरीन बनाने की कोशिश की है. हां, लेकिन दुख की बात है कि वे फीके लगते हैं. क्योंकि फिल्म का पहला सीन जिसमें वे दशकों बाद अपनी पुरानी चॉल में एक-दूसरे से मिलते हैं, उसमें बहुत संभावनाएं थीं. हालांकि यह एक कमजोर सा लगता है. 145 मिनट की यह फिल्म ‘औरों में कहां दम था’ एक बहुत ही लंबी फिल्म लगती है. फिल्म का पहला भाग बहुत धीमा है . यहां आपको लगेगा कि मेरे धैर्य की परीक्षा ली जा रही है.