नई दिल्ली. भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट की अपील खेल पंचाट ने खारिज कर दी है। विनेश ने पेरिस ओलंपिक में महिला 50 किग्रा भार वर्ग के फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले ही उनका वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम अधिक आया था, जिस कारण उन्हें अयोग्य करार दिया गया था। विनेश ने हालांकि संयुक्त रजत पदक देने की मांग पर खेल पंचाट (सीएएस) में अपील दायर की थी जिस पर सुनवाई पूरी हो गई थी। विनेश की अपील पर बार-बार फैसला टल रहा था, लेकिन अब सीएएस ने उनकी अपील खारिज कर दी है जिसका मतलब है कि उनका पदक जीतने का सपना टूट गया। इस फैसले के मायने हैं कि पेरिस ओलंपिक में भारत के छह ही पदक होंगे जिसमें एक रजत और पांच कांस्य शामिल हैं।
भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष डॉ. पीटी उषा ने इस फैसले पर निराशा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि यह फैसला न केवल विनेश बल्कि पूरे खेल जगत के लिए एक झटका है. विनेश फोगाट ने फाइनल नहीं खेलने के बाद रेसलिंग से संन्यास का ऐलान कर दिया था. अगर वह वापसी नहीं करती हैं तो उनका ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने खेल पंचाट के विनेश फोगाट की यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के खिलाफ की गई अपील को खारिज करने पर निराशा व्यक्त की है। आईओए अध्यक्ष ने बयान में कहा, पहलवान विनेश फोगाट की युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के खिलाफ दायर अपील पर खेल पंचाट के एकमात्र पंच के फैसले से स्तब्ध और निराश हूं।
आईओए ने अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में अस्पष्ट नियमों और उनकी व्याख्याओं को लेकर कड़ी आलोचना की है। आईओए ने एक बयान में कहा, 100 ग्राम की मामूली विसंगति और उसके परिणाम का गहरा प्रभाव पड़ता है, न केवल विनेश के करियर के संदर्भ में, बल्कि अस्पष्ट नियमों और उनकी व्याख्या के बारे में भी गंभीर सवाल उठाता है। आईओए का मानना है कि दो दिन में से दूसरे दिन किसी खिलाड़ी को वजन में इतनी मामूली सी विसंगति के लिए पूरी तरह अयोग्य करार देने के मामले की गहरी समीक्षा की जरूरत है। विनेश का मामला बताता है कि कड़े और अमानवीय नियम खिलाड़ियों खासकर महिला खिलाड़ियों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनावों को समझने में नाकाम रहे हैं।
आईओए ने कहा कि यह फैसला अधिक न्यायसंगत और उचित मानकों की आवश्यकता की सख्त याद दिलाता है जो एथलीटों की भलाई को प्राथमिकता देते हैं। इस मामले में भले ही विनेश के पक्ष में सहानुभूति रही हो लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थॉमस बाक और यूडब्ल्यूडब्ल्यू के प्रमुख नेनाद लालोविच ने कहा था कि नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसी छूट देने के व्यापक परिणाम होंगे।