50 साल की उम्र में महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की करवाएं जांच

50 साल की उम्र में महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की करवाएं जांच

प्रेषित समय :10:49:19 AM / Sat, Aug 17th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
Whatsapp Channel

उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. बात करें महिलाओं की तो 50 की उम्र तक आते-आते मेनोपॉज और इसके प्रभाव के कारण कई तरह के बदलाव के साथ-साथ चुनौतियाँ आना शुरू हो जाती हैं. एक्सपर्ट की मानें तो महिलाओं को हार्मोन चेंज के चलते भी कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. मेनोपॉज के समय शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है. इसके चलते कई शारीरिक और हार्मोनल बदलाव होते हैं. इनके बारे में समझकर महिलाएं अपने स्वास्थ्य को और बेहतर रख सकती हैं.

मेनोपॉज और इसके प्रभाव

मेनोपॉज आमतौर पर 50 वर्ष की आयु के आसपास होता है, जो मासिक धर्म चक्र की समाप्ति को दर्शाता है. इस अवधि में एस्ट्रोजन के स्तर में अचानक गिरावट के कारण शरीर में गर्मी महसूस होना या रात में पसीना आने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. एक्सपर्ट कहती हैं कि एस्ट्रोजन कम होने के कारण ऑस्टियोपोरोसिस और हृदय रोगों के जोखिम भी बढ़ता है.

हो सकती हैं ये दिक्कतें

एस्ट्रोजन हृदय स्वास्थ्य में सुरक्षात्मक भूमिका निभाता है. कम एस्ट्रोजन के साथ, महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और लिपिड प्रोफाइल में बदलाव का ज्यादा जोखिम होता है. दिल संबंधी जोखिमों को कम करने के लिए कम सोडियम वाली चीजें खाने की सलाह दी जाती है. दिल से जुड़ी किसी भी दिक्कतों से बचने के लिए महिलाओं को नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवानी चाहिए.

मेंटल हेल्थ

मेनोपॉज मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. 50 से अधिक उम्र की महिलाओं में कमजोर याददाश्त, चिंता और स्ट्रेस जैसे लक्षण अक्सर देखे जाते हैं. जीवनशैली में बदलाव जैसे ध्यान, योग या मानसिक रोग विशेषज्ञ से मदद लेने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है.

महिलाओं करवाएं ये जांच

कोलोनोस्कोपी: बढ़ती उम्र के साथ, कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम में तेजी से वृद्धि होती है. कोलोरेक्टल कैंसर और पॉलीप्स का जल्दी पता लगाने के लिए कोलोनोस्कोपी की सलाह दी जाती है. बोन डेंसिटी टेस्ट: 50 की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपेनिया का जोखिम बढ़ जाता है.बोन डेंसिटी टेस्ट हड्डियों के स्वास्थ्य और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम का पता लगाने में मदद करते हैं. ब्लड प्रेशर की जांच: हाई ब्लड प्रेशर के बढ़ते जोखिम के कारण नियमित निगरानी महत्वपूर्ण है. कोलेस्ट्रॉल टेस्ट: लिपिड के स्तर को मापकर हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है.