कॉफी के पॉजीटिव और निगेटिव दोनों असर बताए जाते हैं. दरअसल, कॉफी में कैफीन कंपाउड होता है जो अलर्टनेस को बढ़ा देता है. इसलिए जब आप कॉफी पीते हैं तो आपको ताजगी जैसा महसूस होती है. लेकिन इसकी मात्रा क्या होनी चाहिए, इसे लेकर कोई खास रिसर्च नहीं थी. अब पहली बार एक स्टडी में दावा किया गया है कि यदि आप सप्ताह में पांच दिन कॉफी पीते हैं तो यह कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को बिगाड़ देगा और इससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाएगा. एसीसी एसिया 2024 में प्रकाशित इस रिसर्च पेपर में कहा गया है कि चाहे व्यक्ति कितना भी हेल्दी क्यों न हो लेकिन अगर वह सप्ताह में पांच दिन तक ज्यादा कॉफी पीता है तो उसे हार्ट डिजीज होने का खतरा है.
मेडिकल न्यूज टूडे के मुताबिक इस स्टडी में 92 हेल्दी लोगों को शामिल किया गया जिनकी उम्र 18 से 45 साल के बीच था. स्टडी से पहले इन सभी लोगों के ब्लड प्रेशर और पल्स रेट की माप ली गई. इसके बाद किसके खून में कितनी कैफीन थी, इसका भी माप लिया गया. इसके बाद दोबारा से ब्लड प्रेशर और पल्स रेट की जांच की गई. इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि ये लोग दिन में कितनी बार कॉफी पीते हैं और सप्ताह में कितने दिन कॉफी पीते हैं. रिसर्चर नेंसी कागाथारा ने बताया कि जो लोग रेगुलर कैफीन का सेवन करते हैं उनमें पैरासिंपेथेटिक सिस्टम बिगड़ जाता है. इससे ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ जाता है.
शोधकर्ताओं ने बताया कि क्रोनिक कैफीन की आदत वाले लोगों में ऐसा होता है. कैफीन का मतलब सिर्फ कॉफी से ही नहीं है बल्कि चाय, सोडा और एनर्जी ड्रिंक में भी कैफीन होता है. चाय में भी कैफी होता है लेकिन कम होता है. लेकिन अगर आप बहुत ज्यादा चाय का सेवन करेंगे तो कैफीन की मात्रा खून में ज्यादा हो जाएगी. इसे क्रोनिक कैफीन की आदत कहेंगे. ऐसे में अगर 5 दिन कॉफी का सेवन करते हैं या 5 दिन बहुत ज्यादा चाय का सेवन करते हैं तो इससे हार्ट की सेहत पर बुरा असर पड़ेगा. अध्ययन में पाया गया कि 19 प्रतिशत लोग क्रोनिक कैफीन के शिकार थे. ये लोग दिन भर में 400 मिलीग्राम कैफीन ले लेते थे. 400 मिलीग्राम कैफीन का मतलब हुआ कि ये लोग 4 कप कॉफी या दो एनर्जी ड्रिंक या 10 कैन सोडा की बोतल रोजाना पीते थे. हालांकि 400 मिलीग्राम कैफीन का बहुत बुरा असर नहीं पड़ता है लेकिन जब इससे ज्यादा हो जाता तो इससे हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है. और अगर यह आदत ज्यादा दिन तक रहती है तो इससे हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है.