नई दिल्ली. एक महिला ने 10 मर्दों के साथ कुछ ऐसा किया, जिसे जानकर कर्नाटक हाईकोर्ट के जज भी हैरान रह गए. महिला कानून का दुरुपयोग करती थी. वो बेगुनाह युवकों पर झूठे मामले दर्ज करवाती थी. इसलिए कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक को एक निर्देश दिया. कहा- आप उस महिला की जानकारी राज्य भर के पुलिस थानों में डिजिटल रूप से प्रसारित करें और उन्हें उसकी शिकायतों से सावधान रहने के लिए कहें.
जानकारी के मुताबिक, महिला का नाम दीपिका है. उसने 10 मर्दों से शादी की. उनके साथ मर्जी से संबंध बनाए. फिर उन पर रेप का आरोप लगा दिया. कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया. यहां कॉफी बागान मालिक नितिन (काल्पनिक नाम) और उनके खिलाफ कोर्ट में केस आया था. एक महिला ने इल्जाम लगाया था कि नितिन ने उसके साथ शादी की फिर उसे छोड़ दिया. लेकिन जैसे ही मामले की जांच हुई तो आरोप गलत सिद्ध हुए. उल्टा उस महिला की ही हकीकत सबके सामने आ गई. इस पर कोर्ट ने नितिन के खिलाफ जो आरोप लगाए गए थे उन्हें रद्द करने का आदेश दिया.
कोडागु जिले के कुशालनगर में रहने वाले नितिन और दीपिका 28 अगस्त, 2022 को मैसूर के होटल ललित महल पैलेस में एक व्यापारिक काम के सिलसिले में मिले थे. इस दौरान दोनों के बीच संबंध बन गए. इसके कुछ ही महीनों के बाद 8 सितंबर, 2022 को दीपिका ने विवेक के खिलाफ रेप का मामला दर्ज करवाया. तब कुशालनगर पुलिस ने दोनों को आपस में मामला सुलझाने के लिए कहा.
19 सितंबर 2022 को दायर एक दूसरी शिकायत में महिला ने दावा किया कि विवेक ने उससे शादी की और उसके तुरंत बाद उसे छोड़ दिया. यह मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा. कोर्ट में विवेक और उसके परिवार के सदस्यों ने तर्क दिया कि विवेक दीपिका द्वारा दर्ज किए गए 10वें मामले का शिकार है. अपनी दलील में कोर्ट से कहा कि उनके परिवार के सभी सदस्यों को जबरदस्ती इसमें घसीटा गया है.
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा कि 2011 से दीपिका ने बलात्कार, क्रूरता, धमकी, धोखाधड़ी आदि का आरोप लगाते हुए अलग-अलग पतियों/साथियों के खिलाफ 10 शिकायतें दर्ज कराई हैं. उन्होंने कहा कि अधिकांश शिकायतें बेंगलुरु के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज की गईं और चिक्काबल्लापुर और मुंबई में एक-एक मामला दर्ज किया गय. जज ने बताया कि तीन मामलों में ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया था और पीड़ितों ने दीपिका के खिलाफ जबरन वसूली और अन्य अपराधों का आरोप लगाते हुए पांच शिकायतें दर्ज की थीं.
कोर्ट ने कहा, बरी करने के सभी आदेशों में एक समान ट्रेंड है. बार-बार नोटिस के बावजूद शिकायतकर्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं होती हैं. शिकायतकर्ता ने बिना किसी कारण के कई पुरुषों और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज कराए हैं. यहां तक कि आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप के आरोप में उन आरोपियों को हिरासत में लिया गया. हिरासत में लंबे समय तक रहने के बाद जमानत मिली. सुनवाई के दौरान जज ने कहा- इस केस ने तो हनी ट्रैप को भी पीछे छोड़ दिया है. महिला का इरादा स्पष्ट है. मैं शिकायतकर्ता के कृत्यों को एक दशक पुरानी धोखाधड़ी की गाथा मानता हूं. यह सिर्फ एक के खिलाफ नहीं, बल्कि कई लोगों के खिलाफ है.