नई दिल्ली. हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर से अडानी ग्रुप को लेकर नया शिगूफा छेड़ा है। इस बार स्विस मीडिया आउटलेट गॉथम सिटी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि स्विस अधिकारियों ने अडानी ग्रुप की जांच के तहत स्विस बैंकों में रखी 310 मिलियन डॉलर (लगभग 2600 करोड़ रुपये) की धनराशि फ्रीज कर दी है. 12 सितंबर 2024 को X (पूर्व में ट्विटर) पर हिंडनबर्ग ने यह आरोप पोस्ट किया.
रिपोर्ट के अनुसार, स्विस अधिकारी 2021 से अडानी ग्रुप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और सिक्योरिटी फ्रॉड की जांच कर रहे हैं. इस आरोप के बाद अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने इन दावों को "आधारहीन, अव्यवहारिक और हास्यास्पद" बताया. प्रवक्ता ने स्पष्ट किया, "अडानी ग्रुप का स्विस कोर्ट की किसी भी कार्यवाही में कोई संबंध नहीं है, और हमारी किसी कंपनी का खाता किसी भी प्राधिकरण द्वारा फ्रीज नहीं किया गया है."
ग्रुप ने किया खारिज- यूएस-आधारित शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने अपने पोस्ट में कहा कि स्विस आपराधिक अदालत के रिकॉर्ड विस्तार से दिखाते हैं कि कैसे अडानी के एक फ्रंटमैन ने अपारदर्शी बीवीआई/मॉरीशस और बरमूडा फंड में निवेश किया, जो लगभग विशेष रूप से अडानी स्टॉक के मालिक थे. इस पोस्ट में एक स्विस मीडिया आउटलेट का हवाला दिया गया था. अडानी ग्रुप ने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि समूह का स्विस अदालत की किसी भी कार्यवाही में कोई हाथ नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्राधिकरण द्वारा इसकी कंपनी के किसी भी खाते को जब्त नहीं किया गया है.
हिंडनबर्ग अडानी ग्रुप पर पिछले एक साल से अलग-अलग आरोप लगाता रहा है. रिसर्च एजेंसी ने शुरुआत 2023 में अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों के जरिये सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एक ऑफशोर फंड में निवेश किया था, जिसका संबंध अडानी ग्रुप से है. हिंडनबर्ग रिसर्च शेयरों को शॉर्ट सेल करती है- इसका मतलब है कि यह उन शेयरों को लेती है और उम्मीद करती है कि उनका मूल्य गिरेगा- जब शेयर का मूल्य गिरता है तो हिंडनबर्ग रिसर्च उन्हें कम कीमत पर वापस खरीद लेती है और मुनाफा कमाती है. अडानी संग विवाद के चलते इसने काफी सुर्खियां बंटोरी हैं.