नई दिल्ली. सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता वाली टिप्पणी पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और जांच एजेंसियों समेत कई संस्थाएं कठिन परिस्थितियों में अपना कर्तव्य निभाती हैं. एक नकारात्मक टिप्पणी उन्हें हतोत्साहित कर सकती है.
उन्होंने कहा कि देश के संस्थानों के बारे में सचेत रहने की जरूरत है. क्योंकि वह मजबूती से उचित जांच और संतुलन के साथ कानून के तहत काम कर रहे हैं. रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा कि राज्य के सभी अंगों का एक ही उद्देश्य है कि आम आदमी को सभी अधिकार मिलें और भारत समृद्ध हो.
उन्होंने कहा कि संस्थानों को लोकतांत्रिक मूल्यों और सांवधानिक आदर्शों को पोषित करने के लिए मिलकर और एकजुटता से काम करने की जरूरत है. इन पवित्र मंचों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का राजनीतिक भड़काऊ बहस का ट्रिगर बिंदु न बनने दें. यह हानिकारक है. ऐसे संस्थानों की स्थापना चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने चुनाव आयोग और जांच एजेंसियों का जिक्र करते हुए कहा कि संस्थाएं कठिन परिस्थितियों में अपना कर्तव्य निभाती हैं और टिप्पणियां उन्हें निराश कर सकती हैं.
हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भुइंया ने कहा था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी अनुचित थी. जस्टिस भुइंया ने सीबीआई की आलोचना करते हुए कहा था कि उसे पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए. उन्होंने सीबीआई द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार करने के समय पर सवाल उठाया था. कहा था कि सीबीआई की गिरफ्तारी का उद्देश्य केजरीवाल को जेल से बाहर आने से रोकना था.
लोकतंत्र में धारणा मायने रखती है
जस्टिस भुइंया ने कहा था कि सीबीआई देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है. यह जनहित में है कि सीबीआई न केवल निष्पक्ष दिखे, बल्कि उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाने वाली किसी भी धारणा को दूर करने की भी उसे हरसंभव कोशिश करनी चाहिए.' उन्होंने कहा कि कानून के शासन द्वारा संचालित लोकतंत्र में धारणा मायने रखती है. जांच एजेंसी को निष्पक्ष होना चाहिए. कुछ समय पहले इसी अदालत ने सीबीआई की निंदा करते हुए इसकी तुलना पिंजरे में बंद तोते से की थी. यह जरूरी है कि सीबीआई इस धारणा को दूर करे.