अरुणाचल: भारतीय पर्वतारोहण दल ने 'अनाम' चोटी का किया नामकरण, चीन बोला-  ये 'अवैध'

अरुणाचल: भारतीय पर्वतारोहण दल ने

प्रेषित समय :08:45:37 AM / Fri, Sep 27th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में एक अनाम और अजेय चोटी पर भारतीय पर्वतारोहण दल की ओर से चढ़ने और उसका नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखने के कुछ दिनों बाद, चीन ने गुरुवार को इस पर निशाना साधा और इसे 'चीनी क्षेत्र' में अवैध अभियान बताया. रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले दिरांग स्थित राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान के 15 लोगों के एक दल ने पिछले शनिवार को चोटी पर चढ़ाई की और तवांग में जन्मे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो (17वीं-18वीं शताब्दी ई.) के सम्मान में इसका नाम 'त्सांगयांग ग्यात्सो चोटी' रखा.

सेना कई साहसिक अभियान भेजती है, लेकिन कई लोग इसे दोहरे उद्देश्य वाला प्रयास मानते हैं जिसका उद्देश्य अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को खारिज करना भी है. चीन भारतीय राज्य को 'ज़ंगनान' कहने पर अड़ा रहता है. छठे दलाई लामा के नाम पर चोटी का नाम रखना भी चीनियों को पसंद नहीं आया होगा, जिन्होंने इस संस्था के महत्व को कम करने की कोशिश की है जो बीजिंग द्वारा हड़पे जाने से पहले तिब्बत के एक स्वतंत्र इकाई के रूप में अस्तित्व की याद दिलाती है.

रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि 6वें दलाई लामा के नाम का चयन उनकी शाश्वत बुद्धिमत्ता और मोनपा समुदाय तथा अन्य क्षेत्रों में उनके गहन योगदान के लिए एक श्रद्धांजलि है, ऐसा लगता है कि यह बात और भी पुख्ता हो गई है. प्रतिक्रिया के लिए पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में मीडिया से कहा कि मुझे नहीं पता कि आपने क्या उल्लेख किया है. उन्होंने कहा कि मैं और अधिक व्यापक रूप से यह कहना चाहता हूं कि जांगनान का क्षेत्र चीनी क्षेत्र है और भारत की ओर से चीनी क्षेत्र में तथाकथित 'अरुणाचल प्रदेश' की स्थापना करना अवैध और निरर्थक है. चीन का यह लगातार रुख रहा है.

एनआईएमएएस निदेशक कर्नल रणवीर सिंह जामवाल के नेतृत्व में अभियान को 6,383 मीटर ऊंची चोटी पर चढ़ने में 15 दिन लगे. रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल एम रावत के अनुसार, यह चोटी तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण और क्षेत्र में सबसे अज्ञात चोटियों में से एक थी और इसे बर्फ की दीवारों, खतरनाक दरारों और दो किलोमीटर लंबे ग्लेशियर सहित कई चुनौतियों के बाद पार किया गया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-