हर व्यक्ति का अपना अलग स्वभाव होता है. कई लोग मजाकिया होते हैं, कई लोग बहुत सीरियस होते हैं. कई लोग हाई सेंसिटिव होते हैं. ऐसे लोग किसी भी घटना को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं. हालांकि जब सेंसिटिविटी हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तब इससे लोगों की जिंदगी नेगेटिव तरीके से प्रभावित होने लगती है. कई लोग हाई सेंसिटिव लोगों को मेंटल डिसऑर्डर का शिकार मानने लगते हैं. क्या वाकई हद से ज्यादा संवेदनशील होना कोई बीमारी है? इसके अलावा सवाल यह भी है कि आखिर ऐसी क्या वजहें होती हैं, जिससे किसी व्यक्ति का व्यवहार अति संवेदनशील हो जाता है?
जब यह लोगों की सोशल और प्रोफेशनल लाइफ में समस्या पैदा करने लगे, तो इसे गंभीर परेशानी माना जा सकता है. अति संवेदनशीलता के कई कारण हो सकते हैं. जब कोई व्यक्ति तनाव में होता है या किसी बात के बारे में बार-बार सोचता है, तो उसका व्यवहार संवेदनशील हो सकता है. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति ऐसे परिवार में बड़ा हुआ है जहां बातचीत की कमी है या नेगेटिव बातचीत होती है, तो यह भी सेंसिटिविटी को बढ़ा सकती है. एक्सपर्ट की मानें तो हाई क्वालिफाइड लोग भी ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं.
उच्च शिक्षित लोग किसी विषय को कई नजरिए से देखने की क्षमता रखते हैं. इसका मतलब यह कतई नहीं है कि ज्यादा पढ़ाई करना खराब है. हालांकि यह भी सच है कि कुछ उच्च शिक्षित लोग ज्यादा सेंसिटिव हो सकते हैं. जब कोई व्यक्ति हाई पोस्ट पर होता है, तो उस पर रिजल्ट देने की जिम्मेदारी होती है, जिससे उसकी संवेदनशीलता बढ़ सकती है. जिन बच्चों को बचपन में अपने माता-पिता से बहुत प्यार मिलता है, वे भी बड़े होकर संवेदनशील हो सकते हैं. इस तरह के व्यक्ति को अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. अति संवेदनशील लोग अक्सर ओवर थिंकर बन जाते हैं, जिससे उनकी समस्याएं बढ़ जाती हैं. अगर कोई व्यक्ति संवेदनशीलता से परेशान है, तो उसे डॉक्टर से मिलकर कंसल्ट करना चाहिए.
Source : palpalindia
ये भी पढ़ें :-