अनिल/पटना
शराबबंदी वाले बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब ने तांडव मचाया है. छपरा और सिवान में मौतों का सरकारी आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.
छपरा और सिवान के अस्पतालों में मंगलवार रात से जहरीली शराब का सेवन करने वाले बीमार लोगों की संख्या बढ़ती चली गई. लगातार एंबुलेंस के सायरन की आवाज एवं पुलिस की गाड़ियां और परिजन खुद घायलों लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.यह सिलसिला मंगलवार रात से जारी है.कई मरीजों की आंखों की रोशनी जली गई. मौत का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है.
बिहार के सिवान और सारण जिलों में जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.अब तक 35 लोगों की मौत की खबर है.सिवान और सारण जिला प्रशासन ने अब तक 25 लोगों की मौत की पुष्टि कर दी है.जिनमें सिवान के 20 और सारण के 5 मृतक शामिल हैं. इस बीच मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को घटना स्थल पर जाकर जांच के लिए कहा है. बिहार में आठ साल से शराबबंदी है. लेकिन गांव-गांव में यह धड़ल्ले से मिलती है और हर महीने किसी न किसी जिले में जहरीली शराब कहर बरपाती है.स्थानीय प्रशासन मौतों का आंकड़ा छिपाने के लिए शव को चुपचाप जला देने की फिराक में लग जाती है और यहां भी वैसा ही प्रतीत हो रहा है.
बिहार में शराबबंदी की जमीनी सच्चाई क्या है.यह बताने के लिय वर्तमान स्थिति ही काफी है.आज एक साथ एक बार में 6 शव जलाए गए. जहरीली शराब पीने से इन सबकी मौत हो गई.इसी इलाके में 2022 में जहरीली शराब पीने से 72 लोगों की मौत हो गई थी. खूब हंगामा बरपा था. उसके बाद खूब छापेमारी हुई.लेकिन सबकुछ जस का तस है.
सिवान के भगवानपुर और सारण जिले के मशरक प्रखंड के गांवों में इस जहरीली शराब से मरने वालों में मुसहर एवं नट जाति के लोग हैं.ये लोग दिनभर मेहनत मजदूरी करने के बाद थकान मिटाने को लेकर नशा सेवन करते हैं.इन नशीली पदार्थों में सबसे ज्यादा शराब के नशा का आदी बना हुआ है. जिसके कारण केमिकल से बने इस शराब को पीने से बाज नहीं आते.जिसके कारण ही ये लोग काल के गाल में समा गए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-